Medha Patkar: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को बड़ी राहत दी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में अदालत ने पाटकर को एक
नई दिल्ली। Medha Patkar: नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को बड़ी राहत दी। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में अदालत ने पाटकर को एक साल की परिवीक्षा (प्रोबेशन) दी, बशर्ते वे अच्छे आचरण का बांड जमा करें।
Medha Patkar: पाटकर ने अपनी सजा और 2000 में दायर इस मामले में पांच महीने की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। इसकी सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने कहा कि उन्होंने पाटकर की उम्र, अपराध की गंभीरता और यह तथ्य कि वे पहले कभी दोषी नहीं ठहराई गईं, इन सभी को ध्यान में रखा है। न्यायाधीश ने 70 वर्षीय पाटकर पर लगाए गए जुर्माने की राशि को भी 10 लाख रुपए से घटाकर 1 लाख रुपए कर दिया।
Medha Patkar: न्यायायिक प्रक्रिया में परिवीक्षा अपराधियों के लिए एक गैर-संस्थागत उपचार का तरीका है। यह सजा का एक सशर्त निलंबन है, जिसमें दोषी ठहराए जाने के बाद जेल भेजने के बजाय अच्छे व्यवहार के बांड पर रिहा किया जाता है।
Medha Patkar: सक्सेना ने नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष के रूप में 24 नवंबर, 2000 को पाटकर द्वारा उनके खिलाफ जारी किए गए अपमानजनक प्रेस विज्ञप्ति के आधार पर यह मामला दायर किया था।
Medha Patkar: पिछले साल 24 मई को, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था कि पाटकर के बयान, जिसमें उन्होंने सक्सेना को “कायर” कहा और हवाला लेनदेन में उनकी संलिप्तता का आरोप लगाया, न केवल अपने आप में अपमानजनक थे, बल्कि उनके बारे में नकारात्मक धारणा को भड़काने के लिए तैयार किए गए थे।
Medha Patkar: कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह आरोप कि सक्सेना “गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहे थे,” उनकी अखंडता और सार्वजनिक सेवा पर सीधा हमला था। सजा पर बहस 30 मई को पूरी हुई थी, जिसके बाद सजा की मात्रा पर फैसला 7 जून को सुरक्षित रख लिया गया था। जिसके बाद 1 जुलाई को, अदालत ने उन्हें पांच महीने की साधारण कैद की सजा सुनाई थी, जिसके बाद पाटकर ने सत्र अदालत में अपील दायर की।