देश में मानसून ने दस्तक दे दी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून शनिवार को केरल पहुंच चुका है। आमतौर पर, दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून तक केरल में दस्तक देता है और 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर कर लेता है। यह 17 सितंबर के आसपास उत्तर-पश्चिम भारत से पीछे हटना शुरू करता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह से वापस चला जाता है।
लेकिन इस बार मानसून से आठ दिन पहले आ गया है। यह 2009 के बाद से सबसे जल्दी आगमन है, जब मानसून 23 मई को राज्य में पहुंचा था। पिछले सप्ताह केरल में वर्षा में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।
आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 30 मई को दक्षिणी राज्य में मानसून आया था। 2023 में 8 जून को; 2022 में 29 मई को; 2021 में 3 जून को; 2020 में 1 जून को; 2019 में 8 जून को; और 2018 में 29 मई को।
मौसम विज्ञानियों के अनुसार, मानसून की शुरुआत की तारीख और पूरे देश में मौसम के दौरान हुई कुल वर्षा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरह पहुंचेगा। एक अधिकारी ने कहा कि यह बड़े पैमाने पर परिवर्तनशीलता और वैश्विक, क्षेत्रीय और स्थानीय विशेषताओं की विशेषता है।
अप्रैल में आईएमडी ने 2025 के मानसून सीजन में सामान्य से अधिक संचयी वर्षा का पूर्वानुमान लगाया था, तथा अल नीनो की संभावना को खारिज कर दिया था, जो भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है।
बता दें कि केरल में मानसून सामान्यत: 1 जून तक आता है। आखिरी बार केरल में सबसे पहले 2001 और 2009 में मानसून इतनी जल्दी पहुंचा था। तब मानसून ने 23 मई को ही केरल में एंट्री मार दी थी।