sonbhadra सोनभद्र : ग्राम पंचायत जुगैल…। चोपन ब्लाॅक की इस ग्राम पंचायत की आबादी करीब 40 हजार है। यहां ज्यादातर आबादी गरीब, अशिक्षित और बेरोजगार है।
लालच और परंपरा की आड़ में लोग अपने मासूम बेटे-बेटियों का बाल विवाह कर देते हैं। इस साल अब तक सोनभद्र में 30 बाल विवाह रोके जा चुके हैं। मामले थाने तक पहुंचे हैं। मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं। कम उम्र में शादी का नतीजा है कि डुंडीढाड़ टोले के 22 वर्षीय राजेंद्र के चार बच्चे हैं। पांच साल पहले शादी हुई थी। पूरे गांव में इसी तरह शादियां होती हैं।
बाल विवाह का खामियाजा बेटियों को भुगतना पड़ता है। कम उम्र में गर्भवती होने पर उनको कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई बार इलाज के अभाव में उनकी माैत हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक देश और उत्तर प्रदेश की मातृ मृत्यु दर से सोनभद्र की मातृ मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। सोनभद्र में प्रति एक लाख महिलाओं पर मातृ मृत्यु दर 218 है, जबकि देश की 167 और उत्तर प्रदेश की 157 है। यहां अभी भी लोग बाल विवाह को कुप्रथा नहीं मानते हैं। वे कहते हैं, कम उम्र में बच्चों की शादी करने की परंपरा है। इस बात की भी चिंता रहती है कि बेटी कहीं गलत कदम न उठा ले।
सिर्फ जुगैल की नहीं है, बल्कि सोनभद्र जिले के चोपन, दुद्धी, म्योरपुर, बभनी, घोरावल और चतरा ब्लाॅक के गांवों की भी यही स्थिति है। सबसे ज्यादा बाल विवाह शहर से सटे चतरा ब्लाॅक में रोके जाते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा बाल विवाह जुगैल ग्राम पंचायत से जुड़े 75 टोलों में होते हैं। यहां वैंगा, खरवार, गोंड आदि जनजातियां हैं। जिले की बात करें तो यहां पर 2022 में 15, 2023 में 38 और 2024 में 57 और इस साल जनवरी से जून तक 30 बाल विवाह रुकवाए गए हैं। ये शादियां सूचनाओं के आधार पर रोकी गईं, जबकि बड़ी संख्या में शादियां हो रही हैं। ज्यादातर की सूचनाएं पुलिस-प्रशासन के पास नहीं पहुंच पाती हैं।