नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण, भंडारण और बिक्री पर लगे प्रतिबंध को हटाने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण लंबे समय से खतरनाक स्तर पर बना हुआ है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइंया की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की कि सड़कों पर काम करने वाले लोग प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हर व्यक्ति के पास घर या ऑफिस में एयर प्यूरीफायर लगाने की सुविधा नहीं होती।
दिल्ली की हवा बेहद खराब- कोर्ट
कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, ‘पिछले छह महीनों में दिए गए कई आदेशों से साफ है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को स्वस्थ जीवन का अधिकार है, जिसमें स्वच्छ हवा में सांस लेना भी शामिल है।’ कोर्ट ने जोर देकर कहा कि प्रदूषण से लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना प्राथमिकता है।
ग्रीन पटाखों पर भी सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हो जाता कि ग्रीन पटाखे प्रदूषण को बेहद कम करते हैं, तब तक प्रतिबंध हटाने पर विचार नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की मौजूदा गंभीर स्थिति को देखते हुए पटाखों पर रोक अनिवार्य है।
प्रतिबंध जरूरी, कोई ढील नहीं
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि समय-समय पर जारी निर्देश और प्रतिबंध दिल्ली-एनसीआर की असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए बेहद जरूरी हैं। कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाना अनिवार्य है। इस फैसले से दिल्ली में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को मजबूती मिलने की उम्मीद है।