
Nepal Politics: नेपाल में राजशाही की वापसी की मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. रविवार को काठमांडू में हजारों समर्थकों ने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह का भव्य स्वागत किया और देश में फिर से राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग की. इस दौरान करीब 10,000 समर्थकों ने त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के मुख्य द्वार को घेर लिया, जहां ज्ञानेन्द्र शाह पश्चिम नेपाल की यात्रा से लौटे थे. प्रदर्शनकारियों ने नेपाल में मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और भ्रष्टाचार के खिलाफ जमकर विरोध किया.
उनका कहना था कि साल 2008 में नेपाल को गणराज्य घोषित करने के बाद से देश की स्थिति और खराब हो गई है. प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए कहा, “राजा के लिए राजमहल खाली करो, वापस आओ राजा, देश को बचाओ”
Members of the House of Representatives of Nepal stress that reinstating the dethroned monarchy is impossible
Former King Gyanendra Shah returned to Kathmandu after wrapping up his visits to the western parts of Nepal yesterday. The gathering of supporters caused a huge road… pic.twitter.com/n7Nn0aBIXI
— DD News (@DDNewslive) March 10, 2025
पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह का भव्य स्वागत
जय पशुपतिनाथ
हाम्रो राजालाई स्वागत छ #KingGyanendra returns home. Thousands welcomed him today sparking nostalgia for the monarchy. Massive support of public shows Love for our Hindu King. pic.twitter.com/QVbqz8dBcw
— Nepal Correspondence (@NepCorres) March 9, 2025
ओली सरकार के प्रति जताई नाराजगी
हाम्रो राजा हाम्रो देश प्राण भन्दा प्यारो छ ! pic.twitter.com/EL8AGbInRG
— Wish Nepal (@NepalWish) March 10, 2025
प्रोटेस्ट पर क्या बोले ज्ञानेन्द्र शाह?
पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने इस प्रदर्शन को लेकर कोई बयान नहीं दिया है. हालांकि, उनके समर्थन में बढ़ती भीड़ से यह साफ है कि नेपाल में एक बड़ा वर्ग फिर से राजशाही चाहता है. नेपाल में राजशाही समाप्त होने के बाद से अब तक 13 बार सरकारें बदल चुकी हैं. नेपाल जनता को उम्मीद थी कि गणराज्य बनने से विकास होगा, लेकिन अर्थव्यवस्था और राजनीति दोनों ही अस्थिर हो गए हैं.
दिलचस्प बात यह है कि कई ऐसे लोग जो 2006 के विरोध प्रदर्शनों में शामिल थे, अब राजशाही की वापसी का समर्थन कर रहे हैं.
जनआंदोलन के बाद छोड़नी पड़ी सत्ता
गौरतलब है कि ज्ञानेन्द्र शाह 2002 में राजा बने थे, जब उनके भाई राजा वीरेंद्र और पूरा शाही परिवार महल में हुए नरसंहार में मारा गया था. पहले वे सिर्फ एक संवैधानिक राजा थे, लेकिन 2005 में उन्होंने सत्ता पर सीधा नियंत्रण कर लिया, इसके बाद सरकार और संसद को भंग कर दिया.
हालांकि, 2006 के जनआंदोलन के बाद उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी और 2008 में नेपाल को गणराज्य घोषित कर दिया गया.
क्या नेपाल में फिर लौटेगी राजशाही?
ज्ञानेन्द्र शाह के समर्थकों की संख्या भले ही बढ़ रही हो, लेकिन फिलहाल उनकी सत्ता में वापसी के आसार कम नजर आ रहे हैं. हालांकि, यह साफ है कि नेपाल में जनता की नाराजगी बढ़ रही है और वे किसी बड़े बदलाव की मांग कर रहे हैं.