
Flight Lieutenant Siddharth Yadav | X
Jamnagar Jaguar Plane Crash: सपनों को जीने की उम्र में 28 साल के पायलट सिद्धार्थ यादव ने देश पर खुद को न्यौछावर कर दिया. फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव (Flight Lieutenant Siddharth Yadav) की कहानी सिर्फ एक हादसे की नहीं, बल्कि बलिदान, साहस और देशभक्ति की मिसाल है. ऐसी कहानी जो हर देशवासी को जाननी चाहिए. यह कहानी है बुधवार रात गुजरात के जामनगर में क्रैश हुए फाइटर प्लेन जगुआर के शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव की.
सिद्धार्थ यादव हरियाणा के रेवाड़ी के रहने वाले थे. सिद्धार्थ के परिवार में उनकी शादी की तैयारियां चल ही रही थी, खुशियों के माहौल में घर में ऐसी खबर आई जिससे उनकी दुनिया उजड़ गई. बुधवार को सिद्धार्थ यादव के शहीद होने की खबर सामने आई.
गुजरात के जामनगर में जगुआर फाइटर प्लेन क्रैश, शहीद हुए पायलट सिद्धार्थ यादव; दूर तक बिखरे विमान के टुकड़े; Video.
सिद्धार्थ यादव अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे. 23 मार्च को उनकी सगाई हुई थी और जल्द ही शादी की तैयारी भी चल रही थी. परिवार में खुशी का माहौल था, लेकिन 3 अप्रैल की रात एक ऐसा समाचार आया जिसने सब कुछ बदल दिया.
रूटीन सॉर्टी बना आखिरी उड़ान
2 अप्रैल को छुट्टी से लौटने के बाद सिद्धार्थ ने एक रूटीन सॉर्टी (ट्रेनिंग उड़ान) के लिए जगुआर फाइटर जेट उड़ाया. उसी दौरान तकनीकी खराबी आई और विमान बेकाबू होने लगा. उनके साथ उड़ान में मौजूद पायलट मनोज कुमार सिंह को सिद्धार्थ ने समय रहते इजेक्ट करा दिया.
एक सच्चे सैनिक की तरह सिद्धार्थ ने घनी आबादी में दुर्घटना होने से रोका, खुद प्लेन में बने रहे और उसे खाली इलाके में क्रैश कराया, ताकि किसी आम नागरिक को नुकसान न हो.
शहीद परिवार की चौथी पीढ़ी सेना में
सिद्धार्थ का परिवार देशभक्ति की जड़ से जुड़ा हुआ है. उनके दादा और परदादा सेना में थे. पिता सुशील यादव भी वायुसेना से रिटायर्ड हैं. अब सिद्धार्थ ने परिवार की चौथी पीढ़ी के रूप में सेवा दी और देश के लिए जान गंवा दी. उनकी एक छोटी बहन है, जो अब अपने माता-पिता का सहारा बनेगी.
पिता की आंखों में गर्व और आंसू
सिद्धार्थ के पिता ने कहा, “हमें रात 11 बजे पता चला कि विमान क्रैश हुआ है. एक पायलट बच गया और मेरा बेटा नहीं रहा. वह मेरा इकलौता बेटा था, लेकिन उसने एक जान बचाई और देश के लिए जान दी.” सिद्धार्थ का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भालखी माजरा में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया.
मरते दम तक निभाई देशसेवा की जिम्मेदारी
सिद्धार्थ की शहादत सिर्फ एक हादसे की बात नहीं है. यह एक सैनिक की निष्ठा, कर्तव्यपरायणता और बलिदान की वो कहानी है, जो हर भारतीय के दिल में बस जानी चाहिए. जब अपनी जान बचाना भी संभव था, तब उन्होंने देश और दूसरों की जान बचाने को प्राथमिकता दी. देश उन्हें श्रद्धांजलि देता है, और उनके साहस को सदैव याद रखेगा.