
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)
सिक्किम के बहुसंख्यक भूटिया लेप्चा समुदाय ने दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी पर्वत चोटी कंचनजंगा पर नेपाल की ओर से चढ़ाई पर पाबंदी लगाने की मांग उठाई है. इस पर्वतीय राज्य के लोग कंचनजंगा पर्वत को बेहद पवित्र मानते हैं.राज्य के लोगों की आध्यात्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सिक्किम सरकार ने वर्ष 2001 में ही इस पर चढ़ने पर रोक लगा दी थी. लेकिन नेपाल की ओर से कंचनजंगा अभियान भी जारी है. अब सिक्किम भूटिया लेप्चा अपेक्स कमिटी ने नेपाल सरकार और नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन को पत्र भेज कर इसे तुरंत बंद करने की अपील की है.
भूटिया लेप्चा समुदाय की धार्मिक भावनाओं का ख्याल रखते हुए पहले कोई भी पर्वतारोही इसकी चोटी पर पैर नही रखता था. लेकिन बीते महीने सेना के एक अभियान के तहत इस पर तिरंगा फहराने और एक पाकिस्तानी पर्वतारोही के शिखर पर पहुंचने की खबरों से स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी है.
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इससे पहले मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने भी केंद्र को पत्र लिख कर नेपाल सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाने की मांग कर चुके हैं. उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि दुनिया की यह तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए बेहद पवित्र और पूजनीय है. इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है.
लेकिन अब यह मांग तेज क्यों हो रही है?
अब यह मांग लगातार जोर पकड़ रही है. सिक्किम भूटिया लेप्चा अपेक्स कमिटी ने नेपाल के पर्यटन मंत्री बदरी प्रसाद पांडे और नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन (एनएमए) को लिखे पत्र में इस पर्वतीय चोटी पर चढ़ाई को तत्काल बंद करने की अपील की है. कमिटी के संयोजक शेतेन टी. भूटिया डीडब्ल्यू से कहते हैं, “हम लंबे समय से यह मांग उठा रहे हैं. लेकिन हाल की घटनाओं ने हमारी चिंता बढ़ा दी है. केंद्र सरकार को नेपाल सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाना चाहिए. यह मुद्दा हमारी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं से गहरे जुड़ा है.”
भूटिया बताते हैं, “बीते महीने भारतीय सेना की टीम और उसके बाद एक पाकिस्तानी पर्वतारोही के शिखर पर चढ़ने की खबरों के बाद भूटिया लेप्चा समुदाय में भारी नाराजगी है. यह हमारी धार्मिक भावनाओं का अपमान है. इसलिए हमने इस पर तत्काल पाबंदी लगाने की मांग उठाई है.”
2001 में ही लगी कंचनजंगा की चढ़ाई पर पाबंदी
इन खबरों के बाद कमिटी की ओर से “कंचनजंगा के शुद्धिकरण” के लिए हाल में काबी लुंगचोक में दो-दिवसीय धार्मिक समारोह भी आयोजित किया गया था. कमिटी के सदस्यों ने राज्यपाल ओम प्रकाश माथुर से भी मुलाकात कर सिक्किम की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत की रक्षा के लिए हस्तक्षेप की अपील की है.
यहां इस बात का जिक्र प्रासंगिक है कि सिक्किम सरकार ने वर्ष 2001 में ही पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत कंचनजंगा की चढ़ाई पर पाबंदी लगा दी थी. उससे पहले सिक्किम की ओर से अब तक महज तीन बार ही इस पर चढ़ाई की गई है. देशी-विदेशी पर्वतारोही अब नेपाल की ओर से ही इस पर चढ़ते हैं.
नेपाल की ओर से जारी
नेपाल के सांस्कृतिक, पर्यटन और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल एक मार्च से 1 मई तक 78 लोगों को कंचनजंगा अभियान के लिए परमिट जारी किए गए थे. इससे नेपाल सरकार को प्रति पर्वतारोही दो से ढाई हजार अमेरिकी डालर की रायल्टी मिलती है. यह रकम यात्रा के दिनों और सुविधाओं पर निर्भर है. नेपाल की ओर से बसंत ऋतु के डेढ़ महीने (अप्रैल से मई के शुरुआती दो सप्ताह) के दौरान ही इस चोटी पर चढ़ाई संभव है.
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ब्रिटेन के दो पर्वतारोहियों जो ब्राउन और जॉर्ज बैंड ने वर्ष 25 मई, 1955 सबसे पहले कंचनजंगा पर चढ़ाई की थी. लेकिन लोगों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए वो चोटी की बजाय उसके बेस तक ही पहुंचे थे. इसी वजह से ज्यादातर पर्वतारोही चोटी पर चढ़ने से बचते रहे हैं.
माउंट एवरेस्ट के मुकाबले कंचनजंगा पर चढ़ाई बेहद कठिन है. यहां ऐसे अभियान के दौरान मृत्यु दर भी ज्यादा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक यह मृत्यु दर 21 से 29 प्रतिशत है. यानी इस पर चढ़ने की कोशिश करने वाले हर 20 पर्वतारोहियों में से चार से छह लोगों की मौत हो जाती है.
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व वाली कंचनजंगा
कंचनजंगा (28,169 फीट) दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है. इसकी चढ़ाई सिक्किम और नेपाल दोनों ओर से की जा सकती है. लेकिन सिक्किम ने इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए इस पर पाबंदी लगा रखी है. अब राज्य के भूटिया लेप्चा समुदाय के साथ ही सरकार भी चाहती है कि नेपाल सरकार भी इस पर पाबंदी लगा दे. सिक्किम के धार्मिक मामलों के मंत्री सोनम लामा ने डीडब्ल्यू से कहा, “अब तक नेपाल की ओर से पांच सौ से ज्यादा लोग कंचनजंगा की चढ़ाई कर चुके हैं. इनमें भारतीय भी शामिल हैं.”
लेकिन क्या भारत सरकार नेपाल के समक्ष यह मुद्दा उठाएगी और नेपाल सरकार ऐसा कोई अनुरोध स्वीकार करेगी? सिलीगुड़ी स्थित हिमालयन नेचर एंड एडवेंचर फाउंडेशन के पर्वतारोही अनिमेष बसु कहते हैं, “इसकी उम्मीद कम ही है. इसकी वजह यह है कि कंचनजंगा नेपाल सरकार की लिए मोटी कमाई का स्त्रोत है. इससे सरकार को राजस्व के तौर पर सालाना एक लाख डॉलर से ज्यादा की कमाई होती है.”