Bilaspur. बिलासपुर। दमोह के मिशन अस्पताल में इलाज के दौरान कई मरीजों की संदिग्ध मौत के बाद सामने आए फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम की सच्चाई अब धीरे-धीरे सामने आ रही है। बिलासपुर पुलिस की टीम सोमवार रात भोपाल पैसेंजर से दमोह के लिए रवाना हुई है। यहां चार दिन की पूछताछ के बाद आरोपी को अपोलो अस्पताल लाकर ऑपरेशन थिएटर और अन्य वार्डों की गहन जांच की गई। दमोह में इलाज के दौरान एक साथ कई मरीजों की मौत हुई, जिससे अफरा-तफरी मच गई थी। इसके बाद
छत्तीसगढ़
विधानसभा के पूर्व स्पीकर स्व. राजेंद्र प्रसाद शुक्ल के बेटे प्रदीप शुक्ल ने बिलासपुर के सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने इलाज में गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अपोलो अस्पताल और फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट नरेंद्र यादव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।एसएसपी रजनेश सिंह के निर्देश पर पुलिस ने जांच शुरू की और आरोपी डॉक्टर को दमोह की अदालत से गिरफ़्तार कर बिलासपुर लाया गया। यहां जिला कोर्ट में पेश कर पुलिस ने रिमांड मांगी, जिसे मंजूरी मिलने के बाद पूछताछ और सबूत जुटाने का सिलसिला शुरू हुआ। पूछताछ में नरेंद्र ने कबूल किया कि उसके पास केवल एक एमबीबीएस की डिग्री है, जो किसी विदेशी मेडिकल कॉलेज की है। इसके अलावा जो भी मेडिकल डिग्रियां और दस्तावेज उसने प्रस्तुत किए थे, वे सब फर्जी पाए गए। उसने पुलिस को बताया कि एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति
प्राप्त
कार्डियोलॉजिस्ट की तरह प्रसिद्ध होने की चाहत में उसने 2018 में अपना नाम बदलकर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम रख लिया था। उसने खुद ही दस्तावेजों में ओवरराइटिंग कर जॉन केम नाम जोड़ लिया। पूछताछ के बाद पुलिस ने आरोपी को बिलासपुर के अपोलो अस्पताल ले जाकर वहां के ऑपरेशन थिएटर और विभिन्न वार्डों की जांच की है। पुलिस यह जानना चाहती थी कि आरोपी डॉक्टर ने वहां क्या भूमिका निभाई और किस तरह का इलाज मरीजों को दिया।