बिलासपुर। शराब घोटाले में संलिप्तता के आरोप में जेल में बंद आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव अरुण पति त्रिपाठी को सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने कड़ी शर्तों के आधार पर जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि शराब घोटाल के संबंध में ईडी की जांच चल रही है। चल रही जांच प्रभावित ना हो इसलिए याचिकाकर्ता त्रिपाठी को 10 अप्रैल, 2025 को रिहा किया जाए।
आबकारी विभाग के पूर्व विशेष सचिव त्रिपाठी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अभय ओक और जस्टिस उज्ज्वल भुयान की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के दौरान ईडी और राज्य शासन ने कहा कि शराब घोटाले के संबंध में जांच चल रही है। याचिकाकर्ता की संलिप्तता है। रिहाई की स्थिति में जांच प्रभावित हो सकती है। राज्य शासन ने यह भी आशंका जाहिर की है कि जेल से रिहा होने के बाद वे जांच को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे।
राज्य शासन की ओर से पेश जवाब के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता तकरीबन 11 महीने से जेल में बंद है। निकट भविष्य में मुकदमा प्रारंभ होने की संभावना भी नहीं दिखाई दे रही है। डिवीजन बेंच ने राज्य शासन के उस तर्क पर सहमति जताई कि जांच चल रही है। जेल से रिहाई की स्थिति में जांच को प्रभावित करने की कोशिशें भी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की रिहाई के लिए 10 अप्रैल तक का समय तय कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद याचिकाकर्ता को 10 अप्रैल को जेल से रिहा करना होगा।