नई दिल्ली: भारत की रक्षा प्रणाली में एक और बड़ा और ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) को अब तीनों सेनाओं थल सेना, नौसेना और वायुसेना को संयुक्त आदेश और निर्देश जारी करने का अधिकार मिल गया है। इससे पहले, प्रत्येक बल को अलग-अलग आदेश दिए जाते थे। अब यह जिम्मेदारी CDS के एकीकृत नेतृत्व के अंतर्गत होगी, जिससे सैन्य संचालन और रणनीति में बेहतर समन्वय आ सकेगा।
राजनाथ सिंह ने दी अधिकारों को मंजूरी
इस निर्णय को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्वीकृति दी है और इसके तहत मंगलवार को पहला संयुक्त आदेश भी जारी कर दिया गया है। इस आदेश का उद्देश्य है प्रक्रियाओं को अधिक सुव्यवस्थित करना, दोहरेपन को खत्म करना और तीनों सेनाओं के बीच सहयोग को मजबूत बनाना।
CDS को क्यों मिले ये नए अधिकार
इस बदलाव की मूल भावना तीनों सेनाओं को एकीकृत करना और भविष्य में संभावित खतरों से सामूहिक रूप से निपटने की क्षमता को मजबूत करना है। पहले प्रत्येक बल अपने-अपने आदेशों पर कार्य करता था, जिससे समन्वय में बाधा आती थी। अब CDS के आदेश सभी बलों पर समान रूप से लागू होंगे।
1999 कारगिल युद्ध के बाद बनी थी ज़रूरत
1999 के कारगिल युद्ध के बाद बनी कारगिल समीक्षा समिति ने सिफारिश की थी कि भारत को तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय के लिए एकीकृत नेतृत्व की ज़रूरत है। इसके बाद 2019 में CDS का पद सृजित किया गया और इसे सरकार के प्रमुख सैन्य सलाहकार की भूमिका दी गई।
CDS की भूमिका क्या है
CDS रक्षा मंत्री और केंद्र सरकार के लिए एक सिंगल प्वाइंट मिलिट्री एडवाइज़र की तरह कार्य करता है। इसका काम न केवल सेनाओं के बीच सहयोग को मजबूत करना है, बल्कि थिएटर कमांड्स की स्थापना और सैन्य आधुनिकीकरण में भी यह भूमिका निभाता है।बालाकोट एयर स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में भी CDS की रणनीतिक भूमिका को अहम माना गया है।
नई प्रणाली से क्या बदलेगा
-अब तीनों सेनाओं को अलग-अलग नहीं, एक संयुक्त आदेश मिलेगा।
-निर्णय लेने की प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता आएगी।
-क्रॉस-सर्विस कोऑपरेशन और प्रशासनिक दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
-सेना के भीतर एकजुटता और अनुशासन मजबूत होगा।