केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप टेस्टिंग फैसिलिटी का दौरा किया
Hyperloop Tube: मद्रास। भारत का परिवहन अब सिर्फ सड़क, रेल, हवाई और जल मार्ग तक ही सीमित नहीं है। देश में अब वंदे भारत जैसी विश्व स्तरीय सुविधाओं वाली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन और नमो भारत जैसी रैपिड ट्रेन भी शामिल हैं। इसके अलावा, मुंबई और अहमदाबाद के बीच बुलेट ट्रेन का काम भी तेजी से चल रहा है। लेकिन भारत का परिवहन सिस्टम यहीं नहीं रुकने वाला है। जी हां, भारत में अब हाइपरलूप टेक्नोलॉजी का भी परीक्षण किया जा रहा है।
Hyperloop Tube : केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप टेस्टिंग फैसिलिटी का दौरा किया। उन्होंने बताया कि आईआईटी मद्रास में 410 मीटर लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्यूब एशिया का सबसे लंबा हाइपरलूप टेस्टिंग फैसिलिटी है और यह जल्द ही दुनिया का सबसे लंबा हाइपरलूप टेस्ट ट्यूब बन जाएगा। याद दिला दें कि साल 2013 में इलॉन मस्क ने पहली बार हाइपरलूप टेक्नोलॉजी को दुनिया के सामने पेश किया था। हाइपरलूप एक हाई-स्पीड ट्रांसपोर्ट सिस्टम है, जो वैक्यूम-सील ट्यूब में पॉड्स को 1000 किमी प्रति घंटे से भी अधिक गति से चलाने में सक्षम है।
Hyperloop Tube : केंद्रीय मंत्री ने चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) में हाइपरलूप के लिए इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स विकसित करने की योजना का भी खुलासा किया। इस योजना में स्वदेशी तकनीक के विकास पर जोर दिया गया है। हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के जरिए परिवहन को पूरी तरह से बदला जा सकता है। मंत्री ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर आईआईटी मद्रास में हाइपरलूप के लाइव डेमो का एक वीडियो भी शेयर किया है।
रेल मंत्रालय ने मई 2022 में हाइपरलूप टेक्नोलॉजी के स्वदेशी विकास के लिए आईआईटी मद्रास को 8.34 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
Hyperloop Tube : अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट के लिए यह पूरा टेस्टिंग सिस्टम स्वदेशी तकनीकों का उपयोग करके विकसित किया गया है। उन्होंने इस परियोजना में शामिल सभी छात्रों को बधाई दी और भारत के तकनीकी विकास में उनके योगदान की सराहना की।
हाइपरलूप टेक्नोलॉजी भारत के परिवहन क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है और देश को अत्याधुनिक परिवहन सुविधाओं से लैस कर सकती है।