नई दिल्ली। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा अभिनव फ्रेमवर्क विकसित किया है, जो देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बैलिस्टिक मिसाइलों के हमलों से बचाने में सक्षम हो सकता है। इस नई तकनीक का उद्देश्य न केवल इमारतों और संरचनाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि सेना के लिए हल्के, किफायती और मजबूत बैलिस्टिक-प्रूफ सामग्री का विकास करना भी है, जिसका उपयोग सीमा पर बंकर निर्माण में किया जा सके। यह शोध हाल ही में प्रतिष्ठित पत्रिका ‘रिलाइएबिलिटी इंजीनियरिंग एंड सिस्टम सेफ्टी’ में प्रकाशित हुआ है।
मजबूत कंक्रीट संरचनाओं का डिजाइन:
बैलिस्टिक मिसाइलों से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए यह फ्रेमवर्क डिजाइनरों को प्रबलित कंक्रीट (आरसी) पैनलों की मजबूती बढ़ाने के नए तरीके सुझाता है। शोध में ‘कम्प्यूटेशनल सिमुलेशन’ तकनीक का उपयोग कर मिसाइलों के प्रभाव का विश्लेषण किया गया। यह तकनीक सैन्य बंकरों, परमाणु संयंत्रों, पुलों और हवाई पट्टियों जैसी महत्वपूर्ण संरचनाओं के लिए कंक्रीट की बैलिस्टिक क्षमता को समझने में मदद करती है। आईआईटी मद्रास के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर अलागप्पन पोन्नालगु ने कहा कि इन संरचनाओं का रणनीतिक महत्व होने के कारण इनकी सुरक्षा बेहद जरूरी है।
सिमुलेशन और फार्मूले से सटीक विश्लेषण:
शोधकर्ताओं ने फाइनाइट एलीमेंट (एफई) सिमुलेशन तकनीक का उपयोग कर मिसाइलों के कंक्रीट पर प्रभाव का अध्ययन किया। इस तकनीक से मिसाइल की गहराई तक पहुंच (डेप्थ ऑफ पेनिट्रेशन) और टकराव से उत्पन्न गड्ढे (क्रेटर डैमेज एरिया) का आकलन किया गया। इसके आधार पर एक फार्मूला भी तैयार किया गया, जो हमले के बाद कंक्रीट में बनने वाले गड्ढे के आकार की सटीक भविष्यवाणी कर सकता है। यह फ्रेमवर्क डिजाइनरों को विश्वसनीय डेटा प्रदान करेगा, जिससे वे ऐसी संरचनाएं बना सकेंगे जो मिसाइल हमलों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकें। यह तकनीक भविष्य में देश की सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।