नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में एक नई पहल ‘सहकार टैक्सी’ की घोषणा की। यह सहकारिता पर आधारित राइड-हेलिंग सेवा होगी, जो उबर और ओला की तरह काम करेगी। शाह ने कहा कि इस योजना से होने वाला लाभ सीधे ड्राइवरों तक पहुंचेगा, न कि बड़े व्यापारियों को।
योजना की खास बातें
शाह ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “सहकार से समृद्धि” विजन का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “हम जल्द ही उबर और ओला की तर्ज पर एक सहकारी टैक्सी सेवा शुरू करेंगे।” यह सेवा दोपहिया, ऑटोरिक्शा और चार पहिया वाहनों को शामिल करेगी। इसका लक्ष्य ड्राइवरों को आर्थिक रूप से मजबूत करना है।
पहले की कोशिशें
जून 2022 में, राष्ट्रीय पर्यटन एवं परिवहन सहकारी संघ (NTTF) ने भी ऐसी ही एक सहकारी टैक्सी सेवा की योजना बनाई थी। यह संगठन केंद्र सरकार के तहत काम करता है। अब शाह की घोषणा से इस दिशा में नई गति मिलने की संभावना है।
क्यों आई यह जरूरत?
हाल ही में उबर, ओला और रैपिडो जैसे प्लेटफॉर्म्स की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। हैदराबाद में ड्राइवरों ने कम किराए के विरोध में ‘नो एसी’ अभियान चलाया। तेलंगाना गिग एवं प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) ने सरकार से मांग की है कि कैब कंपनियां एक निष्पक्ष किराया प्रणाली अपनाएं, जिसमें ईंधन, रखरखाव और ड्राइवरों की आय का ध्यान रखा जाए।
वहीं, उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला और उबर पर एंड्रॉयड और iOS यूजर्स से अलग किराया लेने का आरोप लगाया था, जिसे कंपनियों ने नकार दिया। ऐसे में सहकार टैक्सी एक बेहतर विकल्प बन सकती है।