मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के चेयरमैन गौतम अडानी और प्रबंध निदेशक राजेश अडानी को गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) के एक पुराने मामले से राहत दी है। सोमवार को जस्टिस राजेश एन लढ़्ढा की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया, जिसमें 2019 के सेशंस कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया गया, जिसने अडानी बंधुओं और AEL को ₹388 करोड़ के कथित शेयर बाजार उल्लंघन के मामले से बरी करने से इनकार किया था।
यह मामला 2012 में SFIO द्वारा दायर चार्जशीट से शुरू हुआ था, जिसमें अडानी समूह और इसके प्रमोटरों पर स्टॉकब्रोकर केतन पारेख के साथ मिलकर AEL के शेयरों में हेरफेर का आरोप था।
पारेख 1999-2000 के चर्चित शेयर बाजार घोटाले का मुख्य आरोपी था। SFIO ने दावा किया था कि अडानी समूह ने ₹388.11 करोड़ और पारेख ने ₹151.40 करोड़ का अवैध लाभ कमाया।
कानूनी सफर में, 2014 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अडानी समूह को बरी कर दिया था, लेकिन 2019 में सेशंस कोर्ट ने इसे पलटते हुए मुकदमा चलाने की अनुमति दी। अडानी ने हाईकोर्ट में अपील की, जहां वरिष्ठ वकील अमित देसाई और विक्रम नानकानी ने दलील दी कि आरोप निराधार हैं।
हाईकोर्ट ने उनकी दलीलें मानीं और सेशंस कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया।
फरवरी 2023 में हाईकोर्ट ने SFIO से देरी पर सवाल उठाया था, खासकर जब अडानी समूह हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद सुर्खियों में था। इस फैसले से अडानी बंधुओं को बड़ी राहत मिली है, जो लंबे समय से इस कानूनी विवाद से जूझ रहे थे।