रायपुर। बस्तर में मलेरिया अब गए दिनों की बात हो गई सरकार के ज़बरदस्त मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को बस्तर के प्रत्येक गाँव के स्तर पर सुचारु रूप से चलाया गया। जिसकी वजह से सरकार की मंशा के अनुरूप बस्तर में मलेरिया पर क़ाबू पाया जा रहा है। सरकार का अथक प्रयास रंग ला रहा है। लगातार सरकार की योजनाओं को बस्तर जैसे विशाल क्षेत्र में कर्मठता और ईमानदारी से लागू कराने का उद्देश लेकर सरकार ने जो कार्यक्रम चलाया। जिसकी वजह से आज बस्तर मलेरिया उन्मूलन की दौड़ में आगे निकल रहा है। बस्तर के लिए राज्य की सरकार गंभीरता से सभी दवाएँ ईमानदारी के साथ हर ब्लॉक स्तर में उपलब्ध कराने की वजह से और आउटडोर का साफ़ सफ़ाई, दवाइयों का छिड़काव लगातार होने के कारण बस्तर में लगभग मलेरिया समाप्ति की ओर चल रहा है।
विष्णुदेव साय की सरकार ने लगातार गंभीरता से ग़रीब आदिवासी क्षेत्रों को सभी प्रकार की सुविधा देने का बीड़ा उठाया है। बस्तर की सबसे बड़ी समस्या मलेरिया ही होती थी अब विगत डेढ़ 2 सालों से मलेरिया में एक तरह क़ाबू पाते दिख रही है। वर्तमान सरकार प्रत्येक ब्लॉक को मलेरिया उन्मूलन के लिए निर्धारित कार्यक्रम प्रत्येक माह चलाए गए जिसका परिणाम यह हुआ मलेरिया अब बस्तर के ग्रामीण अंचल से दूर जा रहा है।
छत्तीसगढ़ सरकार के मलेरिया मुक्त अभियान का सरकार ने आंकड़ा जारी किया है। जिसके मुताबिक बस्तर संभाग में मलेरिया धनात्मक दर 4.60 प्रतिशत से घटकर मात्र 0.46 प्रतिशत रह गई है। वहीं साल 2015 की तुलना में साल 2024 में मलेरिया के मामलों में 72 प्रतिशत की गिरावट आई है। राज्य का वार्षिक परजीवी सूचकांक (API) साल 2015 में 5.21 था, जो घटकर 2024 में 0.98 हो गया है। बस्तर संभाग का API इसी अवधि में 27.4 से घटकर 7.11 तक पहुंचा है। 2023 की तुलना में 2024 में मलेरिया प्रकरणों में 8.52 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। विष्णु देव साय के नेतृत्व में बस्तर जैसे संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में मलेरिया के मामलों में ऐतिहासिक कमी दर्ज की गई है। इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए सीएम ने कहा कि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान हमारी सरकार की जन-केंद्रित सोच और समर्पित स्वास्थ्य प्रयासों का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि बस्तर जैसे क्षेत्र में मलेरिया नियंत्रण में मिली यह सफलता स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों, मितानिनों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मेहनत का प्रमाण है। राज्य सरकार मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (NVBDCP) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री साय ने इस अभियान में योगदान देने वाले स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन, मितानिनों और आमजन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सफलता सामूहिक प्रयासों से ही संभव हुई है और यह छत्तीसगढ़ को एक स्वस्थ और समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
सीएम ने दी बधाई
राज्य सरकार मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम और विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने इस अभियान में योगदान देने वाले स्वास्थ्य विभाग, स्थानीय प्रशासन, मितानिनों और आमजन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह सफलता सामूहिक प्रयासों से ही संभव हुई है और यह छत्तीसगढ़ को एक स्वस्थ और समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
उल्लेखनीय है कि, दिसम्बर-2020 व जनवरी-2021 के दौरान मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के तीसरे और मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के पहले चरण के दौरान बस्तर और सरगुजा संभाग के 2309 गांवों में करीब 15 लाख 70 हजार लोगों की मलेरिया जांच की गई थी। बस्तर में मलेरिया को नियंत्रित करने में मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान के प्रभाव से नीति आयोग और यूएनडीपी भी प्रभावित है। उन्होंने इस अभियान की सराहना करते हुए इसे देश भर के आकांक्षी जिलों में संचालित सर्वश्रेष्ठ अभियानों में से एक बताया है।
बस्तर और सरगुजा संभाग में अभियान की सफलता को देखते हुए राज्य सरकार इसे नौ और जिलों में विस्तारित करने जा रही है। सरगुजा संभाग के पांचों जिलों के साथ ही बिलासपुर संभाग के चार जिलों मुंगेली, कोरबा, रायगढ़ और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही, दुर्ग संभाग के तीन जिलों बालोद, कबीरधाम और राजनांदगांव तथा रायपुर संभाग के दो जिलों धमतरी और गरियाबंद में 25 जून से मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान शुरू किया जाएगा। इसके साथ ही मलेरिया उन्मूलन के इस गहन अभियान की पहुंच प्रदेश के कुल 21 जिलों तक हो जाएगी। अभियान के अंतर्गत 20 लाख 29 हजार लोगों की मलेरिया जांच की जाएगी।