
मुंबई, 28 सितंबर : भारतीय शेयर बाजार के लिए आने वाला हफ्ता काफी अहम होने वाला है. आरबीआई एमपीसी बैठक, भारत-यूएस ट्रे़ड डील, एफआईआई डेटा और अन्य वैश्विक आर्थिक कारणों पर भारतीय शेयर बाजार का रुझान निर्भर करेगा. आरबीआई एमपीसी की बैठक 29 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच प्रस्तावित है. इस बैठक में ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी. माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक आगामी एमपीसी में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है. मौजूदा समय में रेपो रेट 5.5 प्रतिशत पर बनी हुई है. पिछली एमपीसी में केंद्रीय ने रेपो रेट को यथावत रखा था. फरवरी 2025 से अब तक केंद्रीय बैंक रेपो रेट को करीब एक प्रतिशत घटा चुका है.
इस हफ्ते भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर भी निवेशकों की निगाहें होंगी. दोनों देशों के बीच पारस्परिक लाभकारी व्यापारिक समझौते पर बातचीत एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है. केंद्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में भारत का एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिका गया था. जहां उन्होंने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमिसन ग्रीर और राजदूत सर्जियो गोर के साथ बैठकें कीं. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की खरीद-बिक्री का डेटा इस बार काफी अहम होगा. पिछले हफ्ते एफआईआई ने 19,570.03 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे. वहीं, डीआईआई ने 17,411.4 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे थे. यह भी पढ़ें :Mumbai Rain: मुंबई में रेड अलर्ट के बीच सुबह से मूसलाधार बारिश, एयर इंडिया, इंडिगो समेत अन्य एयरलाइंस ने जारी की ट्रैवल एडवाइजरी; चेक डिटेल्स
बीता हफ्ता भारतीय शेयर बाजार के लिए बिकवाली वाला रहा. निफ्टी 672.35 अंक या 2.65 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,654.70 और सेंसेक्स 2,199.77 अंक या 2.66 प्रतिशत की गिरावट के साथ 80,426.46 पर था भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार के कारोबारी सत्र में बढ़ी गिरावट के साथ बंद हुआ. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 733.22 अंक या 0.90 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 80,426.46 और निफ्टी 236.15 अंक या 0.95 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,654.70 पर था.
बाजार के जानकारों ने कहा कि भारतीय बाजार में भी एशियाई बाजारों की तरह ही भारी गिरावट देखी गई. दवा कंपनियों पर नए टैरिफ लगाने से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई, जिससे दवा कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई. इस बीच, एक्सेंचर की कम जोर गाइंडेंस और नौकरियों में कटौती ने आईटी खर्च में कमी की ओर संकेत किया है, जिससे तकनीकी शेयरों में व्यापक बिकवाली हुई. वैश्विक अनिश्चितता के बीच निवेशक सतर्क बने हुए हैं और निकट भविष्य में घरेलू निवेश और खपत पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.