गिरिश गुप्ता गरियाबंद:- उदती-सीतानदी टाईगर रिजर्व अन्तर्गत सीतानदी अभयारण्य के परिक्षेत्र-रिसगांव, के वन अमला दिनांक 25.11.2024 को लगभग 7:30 बजे शाम को हाईटेक बेरियर पचपेढी सांकरा से शासकीय वाहन कमांक सी.जी. 02/8889 जिप्सी में सवार होकर हाथी की रात्रिकालीन निगरानी करने निकले और गश्त करते हुए ग्राम ठोठाझरिया से गाताबाहरा वनमार्ग होते हुए खल्लारी साल्हेभाठ से एकावारी जक्शन के पास कक्ष कमांक 277 पहुंचे थे, उसी समय दिनांक 26.11.2024 को रात लगभग 12:30 बजे दो मोटर साईकिल में तीन-तीन व्यक्ति बैठकर लिखमा मार्ग से टॉगरीडोंगरी वनमार्ग की ओर जाते हुए दिखे गश्ती दल द्वारा तत्काल उनका पीछाकर सामने वाले मोटर सायकल के पास जाकर उनको रोका गया उसी दरमियान पीछे चल रहे मोटर सायकल में बैठे व्यक्ति फरार हो गये तथा सामने मोटर सायकल बैठे 1. धनसाय पिता कोदाराम गोंड़ ग्राम-बुद्रा. तहसील-बेलरगांव, जिला धमतरी (छ०ग०) 2. अरूण पिता जैलसिंग गोंड, ग्राम-उड़ीदगांव, तहसील-विश्रामपुरी, जिला-कोण्डागांव (छ०ग०) को पकड़कर पूछताछ करने पर उन लोगों के द्वारा बताया गया कि हम लोग शिकार करने के लिए निकले हैं उन लोगों की तलाशी लेने पर धनसाय पिता कोंदाराम के सवारी वाले मोटर सायकल में 02 नग थैला में दो नग गुलेल (71 नग माटी गुल्ला), बड़ा टार्च 01 नग, मिला। उन्होंने अपने साथियों 1. सुरेन्द्र पिता फूलचंद जाति गोंड़ ग्राम बुड्रा, 2. थानेश्वर पिता राजेश कुमार जाति गोंड़ ग्राम बुड्रा एवं 3. रजमन पिता धनसाय जाति गोंड़ ग्राम बुड्रा के साथ 03 नग शिकार के लिए प्रशिक्षित पालतू कुत्तों के मदद से विलुप्तप्राय वन्यप्राणी भारतीय विशाल गिलहरी (Indian Giant Squirrel) को मार गिराया उसके बाद गुलेल की सहायता से विलुप्तप्राय वन्यजीव भारतीय उड़न गिलहरी (Indian Flying Squirrel) को पेड़ से मार गिराया जाना बताया गया। तत्पश्चात श्री रतनलाल यादव वनरक्षक परिसर रक्षी एकावारी द्वारा मौके पर जप्तीनामा तैयार कर पी.ओ.आर. क. 05/105 दिनांक 26.11.2024 को जारी किया गया। आरोपियों के गृहग्राम बुड्रा परिक्षेत्र-सीतानदी, थाना-बोराई, तहसील-नगरी, जिला-धमतरी (७०ग०) जाकर फरार आरोपी सुरेन्द्र पिता फूलचंद जाति गोंड़ ग्राम बुड्रा के घर से तलाशी के दौरान उसके निवास स्थान से वन्यप्राणी हिरण का सींग 02 नग, वन्यप्राणी जंगली सुअर का दांत 01 नग, साही पंख 01 नग, खरगोश फंदा 01 नग, साल एवं सागोन चिरान एवं हाथ-आरा बरामद कर जप्त किया गया। उसके बाद सुरेन्द्र पिता फूलचंद जाति गोंड़ ग्राम-बुद्रा, थानेश्वर पिता राजेश कुमार जाति गोंड़ ग्राम-बुड्रा एवं रजमन पिता धनसाय जाति गोंड़ ग्राम-बुड्रा को पकड़कर सभी आरोपियों के साथ वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 9, 27, 29, 31, 50, 51 (1-ग), 52 के तहत् पंजीबध्द्ध वन अपराध प्रकरण में माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी व्यवहार न्यायालय नगरी जिला-धमतरी (छ०ग०) के समक्ष दिनांक 27.11.2024 को प्रस्तुत किया गया। वहां माननीय न्यायालय द्वारा उन्हें न्यायिक रिमाण्ड पर जिला जेल धमतरी भेजा गया। उपरोक्त एन्टी पोचिंग ऑपरेशन में श्री शैलेश बघेल (सब- नोडल – एन्टी पोचिंग टीम), वन रक्षक रतन लाल यादव, दीपेन्द्र राजपूत, शिवलाल मरकाम एवं दीनानाथ यादव का विशेष योगदान रहा। भारतीय विशाल गिलहरी या मालाबार विशाल गिलहरी( रतूफा इंडिका )एक बड़ी बहुरंगी बुद्ध गिलहरी प्रजाति है जो भारत के जंगलों और वुडलैंड में पाई जाती है। यह एक दीनचर,बुक्षचर और मुख्य रूप से शाकाहारी गिलहरी है।
बंटवारा और आदत
यह प्रजाति भारत के लिए स्थानिक है इसका वितरण पश्चिमी घाट पूर्वी घाट और सतपुड़ा रेंज से लेकर उत्तर में मध्य प्रदेश(लगभग 22° एन) तक है। यह उष्णकटिबंधीय पर्णपाती, अर्ध- पर्णपाती (जहां अक्सर सघन नदी तटवर्ती विकास का उपयोग होता है), और नम सदाबहार जंगलों और वुडलैंड में 180-2,300 मीटर(590-7550 फिट) की ऊंचाई पर पाया जाता है। सामान्य तौर पर जिसका वितरण खंडित है क्योंकि यह आवास संरक्षण के प्रति असहिष्णु है।भारतीय विशाल गिलहरी आमतौर पर शिकारियों से बचने के लिए 11 मी (36 फीट) की औसत ऊंचाई वाले ऊंचे पेड़ों में घोंसला बनती है।
व्यवहार
भारतीय विशाल गिलहरी ऊपरी छतरी वाली निवास करने वाली प्रजाति है जो शायद ही कभी पेड़ो को जो शायद ही कभी पेड़ो को छोड़ती है और घोंसले के निर्माण के लिए ऊंचे और प्रचुर शाखाओं वाले पेड़ों की आवश्यकता होती है। यह 6 मीटर 20 फीट तक की छल्लांग लगाकर एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जाती है। खतरे मे होने पर भारतीय विशाल गिलहरी भागने के बजाय अक्सर पेड़ के ताने से चिपक जाती है यह खुद को दवा लेती है इसके मुख्य शिकारी उल्लू और तेंदुआ जैसे शिकारी जानवर पक्षी हैं। यह विशाल गिलहरी ज्यादातर सुबह और शाम के शुरुआती घंटे में सक्रिय रहती है दोपहर में आराम करती है वह आमतौर पर एकांत जानवर होते हैं जो केवल प्रजनन के लिए एक साथ आते हैं माना जाता है कि यह प्रजाति बीज फैलाव में संलग्न होकर अपने आवास के परिस्थितिकी तंत्र को आकाश देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है आहार में फल फूल में और पेड़ की छाल शामिल है वे कीड़े और पक्षियों के अंडे भी खा सकते हैं।
शिकार करने पर सजा
भारतीय विशाल गिलहरी वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की अनुसूची 1 में दर्ज है जिसके शिकार पर कम से कम 3 वर्ष एवं अधिकतम 7 वर्ष के कारावास एवं 25000 जुर्माना की सजा का प्रावधान है।