नवरात्र के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। इससे जीवन में स्थिरता, शांति और समृद्धि आती है। वह नवदुर्गा की प्रथम स्वरूप हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं।
सफेद मिष्ठान भी प्रिय
आध्यात्मिक ज्योतिष कहते हैं कि शैलपुत्री माता को गाय के दूध से बनी खीर का भोग अत्यंत प्रिय है। इसके साथ ही सफेद मिष्ठान जैसे रसगुल्ला या मलाई बर्फी भी अर्पित कर सकते हैं। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
धन-धान्य की कमी नहीं होती
मां शैलपुत्री के पूजन के महत्व के बारे में कहते हैं कि मां शैलपुत्री पर्वत के समान दृढ़ और अडिग मानी जाती हैं। इसलिए उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता और तपस्या का गुण आता है। घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। धन-धान्य की कमी नहीं होती।
सुयोग्य वर की प्राप्ति
मां को शुद्ध और सात्विक भोग चढ़ाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है। बताते हैं कि कुंवारी कन्याओं को मां शैलपुत्री की पूजा करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
मां शैलपुत्री पूजन विधि
स्नान और पवित्रता: सबसे पहले स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें।
कलश स्थापना: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, जिसमें देवी दुर्गा की उपस्थिति को आमंत्रित किया जाता है।
मां शैलपुत्री की पूजा: मां शैलपुत्री की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें और उनकी पूजा करें।
पुष्प और अक्षत: मां शैलपुत्री को पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
दीप और धूप: दीप और धूप जलाएं और मां शैलपुत्री की आरती करें।
मंत्र जाप: मां शैलपुत्री के मंत्र “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः” का जाप करें।
भोग: मां शैलपुत्री को भोग लगाएं और प्रसाद के रूप में वितरित करें।
मां शैलपुत्री के मंत्र
मूल मंत्र: ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः
वंदना मंत्र: वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखराम्। वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।
भोग की सामग्री
गाय के दूध से बनी खीर, जिसमें चीनी, इलायची, साबूदाना या मखाना डाला जाता है। सफेद मिठाई जैसे रसगुल्ला, मलाई बर्फी या मिश्री का भी भोग लगा सकते हैं। भोग के लिए गाय के घी का इस्तेमाल करें। मां को सफेद फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।
मां शैलपुत्री का महत्व
मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं और उनकी पूजा से आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। वह शक्ति और साहस का प्रतीक हैं और पूजा से जीवन में स्थिरता और सुख की प्राप्ति होती है।