Smriti and Shravan Mandhana | @imfemalecricket/X
भारतीय महिला क्रिकेट टीम (Indian Women Cricket Team) ने दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से हराकर पहली बार ICC Women’s ODI World Cup 2025 अपने नाम कर इतिहास रच दिया. नवी मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में ट्रॉफी हाथों में लेकर, तिरंगा लहराती हुई भारतीय महिला टीम की खिलाड़ियों के बारे में आज हर कोई चर्चा कर रहा है. भारत की बेटियों ने पहला महिला विश्व कप जीत कर देशवासियों को गौरवान्वित किया है. इस जीत में टीम की सभी खिलाड़ियों ने योगदान दिया. वहीं स्मृति मंधाना (Smriti Mandhana) ने जो बल्लेबाजी की उसकी जितनी तारीफ की जाए कम है, वह टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली भारतीय खिलाड़ी रहीं.
इस चमकदार सफलता के पीछे सिर्फ स्मृति का परिश्रम ही नहीं, बल्कि उनके बड़े भाई श्रवण मंधाना (Shravan Mandhana) का निरंतर मार्गदर्शन और समर्थन भी है, जिसने उन्हें एक साधारण लड़की से इंटरनेशनल स्टार बनाया. आइए जानते हैं, आखिर कौन हैं श्रवण मंधाना?
कौन हैं श्रवण मंधाना?
श्रवण मंधाना स्मृति मंधाना के इकलौते बड़े भाई हैं. उनकी उम्र 33 वर्ष है. वे सांगली, महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. परिवार में क्रिकेट का सबसे पहला जुनून इन्हीं से शुरू हुआ. श्रवण ने बचपन में महाराष्ट्र U-16 टीम के लिए क्रिकेट खेला. वे लेफ्ट-हैंड बैटर हैं, इसी वजह से स्मृति भी बनीं बाएं हाथ की बल्लेबाज हैं. शुरुआती दिनों में उन्होंने ही स्मृति को नेट में गेंदबाजी कर अभ्यास कराया. श्रवण ने अपने खेल में भले बड़े मुकाम हासिल न किए हों, लेकिन स्मृति के क्रिकेट करियर की असली नींव उन्होंने ही मजबूत की.
श्रवण मंधाना ने चुना क्रिकेट से नया करियर
जब क्रिकेटर बनने का सपना आगे नहीं बढ़ पाया, तो श्रवण ने हार मानने के बजाय जिंदगी को नया मोड़ दिया और सांगली में प्राइवेट बैंक के ब्रांच मैनेजर बने. इसके साथ ही वे SM-18 कैफे चलाते हैं. ये कैफे स्मृति के नाम पर है. इसके साथ ही श्रवण क्रिकेट कोचिंग अकादमी भी संचालित करते हैं ताकि नए टैलेंट को मौका मिले. यानी क्रिकेट का रिश्ता आज भी उनकी जिंदगी से गहराई से जुड़ा हुआ है. श्रवण की शादी 10 जुलाई 2018 को हुई थी और उनका एक बेटा है जिसका नाम हृणय मंधाना है.
बहन की सफलता के पीछे भाई का संघर्ष
स्मृति ने कई बार कहा है, “आज जो भी हूँ, उसमें मेरे भाई का बहुत बड़ा योगदान है.” श्रवण की क्रिकेट जर्सी देखकर ही स्मृति के मन में खेल का जुनून जगा. भाई की स्टाइल कॉपी करते-करते वह बन गईं आक्रामक लेफ्ट-हैंड ओपनर बनीं. उनके पिता और भाई रोज़ मैदान तक ले जाते थे. दवाब, थकान और हार इन सब स्थितियों में सबसे पहले भाई ने हौंसला दिया.

