विराट कोहली, रोहित शर्मा (Photo Credits: X/@BCCI)
Independence Day 2025: भारत की आजादी के बाद से क्रिकेट की दुनिया में टीम इंडिया की यात्रा किसी फिल्म से कम नहीं है. उतार-चढ़ाव से भरी इस कहानी में ऐसे कई शानदार पल हैं जिन्होंने पूरे देश को गर्व से भर दिया है. विश्व कप की जीत से लेकर टेस्ट सीरीज की ऐतिहासिक विजयों तक, भारतीय क्रिकेट ने अपने प्रशंसकों को हमेशा रोमांचित किया है. 1932 में अंतर्राष्ट्रीय दर्जा मिलने के 20 साल बाद, भारत को अपनी पहली टेस्ट जीत 1952 में चेपक में इंग्लैंड के खिलाफ मिली. विनू मांकड़ की 12 विकेट की शानदार गेंदबाजी के दम पर भारत ने इंग्लैंड को एक पारी और 8 रन से हराया था. इसी साल भारत ने अपनी पहली टेस्ट सीरीज भी जीती, और वह भी पाकिस्तान के खिलाफ घर की मिट्टी पर. मांकड़ के 25 विकेट, पॉली उमरीगर और विजय हजारे के शतकों ने इस 2-1 की जीत को यादगार बनाया. आइए स्वतंत्रता के बाद भारतीय क्रिकेट के सबसे महत्वपूर्ण क्षणों की गाथा जानते हैं. क्या टीम इंडिया खेलेगी एशिया कप या केवल पाकिस्तान के खिलाफ मैच को करेगी बहिष्कार? स्वतंत्रता दिवस पर PM मोदी के भाषण के बाद फैंस ने उठाए सवाल
एशिया 1967-68:के बाहर पहली सफलता
>मंसूर अली खान पटौदी की कप्तानी में भारत ने न्यूजीलैंड में अपनी पहली विदेशी सीरीज 3-1 से जीती. इरापल्ली प्रसन्न और बिशन सिंह बेदी की स्पिन जादूगरी और अजीत वाडेकर के शतक ने इस ऐतिहासिक जीत की नींव रखी.
1971: वेस्टइंडीज और इंग्लैंड में लगातार जीत
अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने पहले वेस्टइंडीज को उनके घर में 1-0 से हराया. इस सीरीज में सुनील गावस्कर ने 8 पारियों में 774 रन बनाकर अपना आगमन घोषित किया. इसके बाद इंग्लैंड में भी 1-0 की जीत मिली, जहां वेंकटराघवन, चंद्रशेखर और बेदी की स्पिन तिकड़ी ने कमाल दिखाया.
1983: विश्व कप की पहली जीत
लॉर्ड्स में कपिल देव की टीम ने उस समय की सबसे मजबूत टीम वेस्टइंडीज को 43 रन से हराकर विश्व कप जीता. अंडरडॉग के रूप में गई भारतीय टीम ने अपने जुनून और आत्मविश्वास से क्रिकेट की दुनिया में सत्ता का केंद्र हमेशा के लिए बदल दिया.
एशियाई क्रिकेट शक्ति के रूप में उभरना
1984 में पहले एशिया कप खिताब और 1987 विश्व कप की सह-मेजबानी करके भारत ने एशियाई क्रिकेट में अपनी मजबूत स्थिति बनाई. इससे उपमहाद्वीप दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट बाजारों में से एक बन गया.
गावस्कर का ऐतिहासिक रिकॉर्ड
7 मार्च 1987 को अहमदाबाद में पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए सुनील गावस्कर टेस्ट क्रिकेट में 10,000 रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज बने. यह उपलब्धि उनके 124वें मैच में आई.
कोलकाता का महान प्रदर्शन (2001)
मैच फिक्सिंग कांड के बाद जनता का भरोसा डगमगाया था, लेकिन ईडन गार्डन्स में वीवीएस लक्ष्मण (281) और राहुल द्रविड़ (180) की 376 रन की भागीदारी ने इतिहास रच दिया. 274 रन की बढ़त को 383 रन की लीड में बदलकर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 171 रन से हराया.
मुल्तान में वीरेंद्र सहवाग ने शोएब अख्तर जैसे तेज गेंदबाजों को धूल चटाते हुए 309 रन का त्रिशतक जड़ा। यह भारत का पहला टेस्ट त्रिशतक था और पाकिस्तान में पहली सीरीज जीत भी.
धोनी की तीन ICC ट्रॉफी (2007-2013)
रेलवे में टिकट कलेक्टर से कप्तान बने महेंद्र सिंह धोनी ने 2007 T20 विश्व कप, 2011 ODI विश्व कप और 2013 चैंपियंस ट्रॉफी जीतकर तीनों प्रमुख ICC खिताब अपने नाम किए.
IPL की क्रांति (2008)
BCCI द्वारा शुरू की गई इंडियन प्रीमियर लीग ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में T20 क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ाई. आज IPL दुनिया की सबसे बड़ी फ्रैंचाइजी लीग है.
सचिन के ऐतिहासिक रिकॉर्ड
2010 में सचिन तेंदुलकर ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ ODI में दोहरा शतक जड़कर इतिहास रचा. 2012 में उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 100वां शतक भी पूरा किया.
घरेलू टेस्ट वर्चस्व (2013-2024)
फरवरी 2013 से अक्टूबर 2024 तक भारत ने घरेलू मैदान पर लगातार 18 टेस्ट सीरीज जीतीं. विराट कोहली, रोहित शर्मा, अश्विन और जडेजा की अगुवाई में यह शानदार दौर 2024 में न्यूजीलैंड की 3-0 की जीत से समाप्त हुआ.
रोहित का रिकॉर्ड तोड़ डबल सेंचुरी
2014 में कोलकाता में श्रीलंका के खिलाफ रोहित शर्मा ने 264 रन की पारी खेलकर ODI का सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर बनाया.
विराट का ऑस्ट्रेलियाई सफर
2018-19 में विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने ऑस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज 2-1 से जीती, एशियाई टीम के रूप में यह ऐतिहासिक उपलब्धि थी.
हाल की ICC ट्रॉफी जीत
2023 विश्व कप फाइनल की हार के बाद भारत ने 2024 T20 विश्व कप (बारबाडोस में) और 2025 चैंपियंस ट्रॉफी (दुबई में) जीतकर अपना ट्रॉफी सूखा समाप्त किया. स्वतंत्रता के 78 साल बाद भारतीय क्रिकेट ने एक लंबा सफर तय किया है. शुरुआती संघर्षों से लेकर आज विश्व क्रिकेट में अग्रणी स्थान तक का यह सफर प्रेरणादायक है. हर पीढ़ी के खिलाड़ियों ने अपने-अपने समय में देश का मान बढ़ाया है. गावस्कर से लेकर कोहली तक, कपिल देव से लेकर धोनी तक – हर युग में भारत के पास ऐसे नायक रहे हैं जिन्होंने तिरंगे को ऊंचा रखा है.

