गिरीश गुप्ता गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक में बिना वैधानिक अनुमति के चंगाई सभा आयोजित कर धर्म परिवर्तन कराने के आरोप सामने आए हैं। रविवार को विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के जिला अध्यक्ष प्रकाश निर्मलकर और अन्य पदाधिकारियों ने पुलिस की मदद से फिंगेश्वर थाना क्षेत्र के तीन अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की। छापेमारी के दौरान माहौल में तनाव और हंगामे की स्थिति भी बनी रही। जानकारी के अनुसार, विहिप के जिला संयोजक मोहित साहू ने बताया कि राज्यपाल के गोद ग्राम बिजली में कुछ लोग इलाज करने और बीमारियों के उपचार के दावे के साथ सभा आयोजित कर रहे थे। इसी तरह लफंदी और बेल्टुकरी गांव में भी ऐसी गतिविधियां पाई गईं। मौके पर मौजूद आयोजकों से जब अनुमति संबंधी दस्तावेज मांगे गए तो उन्होंने स्वीकार किया कि चंगाई सभाओं के लिए उन्होंने कोई वैधानिक अनुमति नहीं ली थी।
विहिप का आरोप है कि इन सभाओं में लाइलाज बीमारियों के उपचार का दावा कर भोले-भाले ग्रामीणों को प्रभावित किया जाता है और उनके धर्म परिवर्तन की कोशिश की जाती है। संगठन ने तीन महीने पहले हुई एक घटना का हवाला भी दिया। यह घटना सुरसा बांधा गांव की है, जहां एक प्रार्थना सभा के दौरान लाइलाज बीमारी का इलाज करने का दावा किया गया था, लेकिन उपचार के दौरान महासमुंद की एक युवती की मौत हो गई थी। उस मामले में भी धार्मिक साहित्य और संदिग्ध सामग्रियां मिली थीं, और दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगे थे। विहिप ने उस समय इसे हत्या करार दिया था। संगठन का कहना है कि सुरसा बांधा की तरह जिले के अन्य स्थानों पर भी ऐसे “मिशन” चल रहे हैं, जो गरीब और लाचार लोगों की भावनाओं और उनके विश्वास का शोषण कर रहे हैं। संगठन ने इसे न केवल सामाजिक बल्कि धार्मिक खतरा बताया है।
रविवार की छापेमारी के बाद विहिप ने फिंगेश्वर थाने में ज्ञापन सौंपा, जिसमें मांग की गई है कि बिना अनुमति चल रही प्रार्थना सभाओं, चंगाई कार्यक्रमों और लाइलाज बीमारियों के उपचार के दावों की गंभीरता से जांच की जाए। साथ ही, अगर इसमें धर्म परिवर्तन के प्रयास पाए जाएं तो दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए। इस बीच, फिंगेश्वर थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने बताया कि पुलिस को विहिप का ज्ञापन मिला है और मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब तक किसी पीड़ित ने जबरन धर्म परिवर्तन कराने की सीधी शिकायत दर्ज नहीं कराई है। यदि कोई शिकायत आती है और कार्य नियम विरुद्ध पाया जाता है, तो संबंधित लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
गांवों में हुई इस कार्रवाई के बाद स्थानीय स्तर पर चर्चा तेज हो गई है। कुछ ग्रामीणों ने विहिप की कारवाई का समर्थन किया, तो कुछ का कहना है कि अगर लोग अपनी इच्छा से किसी धार्मिक सभा में शामिल होते हैं तो इसे रोकना उचित नहीं है। वहीं, विहिप का कहना है कि यह “इच्छा” नहीं बल्कि “प्रलोभन और भ्रम” का परिणाम है, जिसे कानून और समाज दोनों के लिए खतरा माना जाना चाहिए। यह मामला अब गरियाबंद जिले में एक संवेदनशील सामाजिक-धार्मिक मुद्दे का रूप ले चुका है। आने वाले दिनों में पुलिस जांच और प्रशासनिक कार्रवाई से यह स्पष्ट होगा कि आरोपों में कितनी सच्चाई है। लेकिन फिलहाल, बिना अनुमति चल रही ऐसी सभाओं पर निगरानी बढ़ाने और धार्मिक गतिविधियों के नाम पर धोखाधड़ी या जबरन धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की मांग जोर पकड़ चुकी है।

