Utpanna Ekadashi: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है. साल में 24 एकादशियों पर व्रत रखा जाता है. जिसमें 12 शुक्ल पक्ष में और 12 कृष्ण पक्ष में आती है. प्रत्येक का अपना विशेष महत्व है. मान्यता के अनुसार, एकादशी का व्रत करने से दुर्भाग्य, दरिद्रता और कई प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा सुख, संपत्ति, ऐश्वर्य, पुत्र-पौत्र-पौत्रादि के साथ सुखी जीवन का आशीर्वाद मिलता है. एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करता है, उनके जीवन में सुख और समृद्धि आई है. इसके लिए यह जानना भी जरूरी है कि एकादशी व्रत को कितने तरीकों से किया जा सकता है. इसका वास्तविक नियम क्या है?
सबसे पहले बात करते हैं जलहरी की. शास्त्रों के अनुसार, एकादशी का व्रत केवल जलहार में पानी पीकर किया जाता है. एक बार जलहरी व्रत का संकल्प लेने के बाद यह पूर्ण हो जाता है. कुछ लोग 24 घंटे में सिर्फ एक बार ही पानी पीते हैं.
इसके बाद दूसरी विधि है क्षीरभोजी व्रत. जिसमें दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन करके एकादशी का व्रत रखा जाता है. एकादशी व्रत के दिन भक्त केवल दूध या दूध से बनी चीजों का सेवन करते हैं, इसे क्षीरभोजी एकादशी व्रत कहा जाता है.
इसके बाद सबसे आम प्रकार का उपवास फलाहारी है. फलाहारी का अर्थ है केवल फल खाकर एकादशी का व्रत करना. इस व्रत में लोग आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता, केला आदि चीजें खाते हैं.
नक्तभोगी एक प्रकार का व्रत है. नक्तभोजी का अर्थ है, दिन में एक बार सूर्यास्त से पहले फल खाना. एकादशी व्रत के दौरान उपवास करने वाले व्यक्ति के आहार में साबुन, आलू, सिंघाड़ा, शकरकंद और मूंगफली शामिल होते हैं.
Utpanna Ekadashi
आपको बता दें कि प्रधाना एकादशी का व्रत नवंबर महीने की आखिरी एकादशी 26 नवंबर 2024 को किया जाएगा. पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 26 नवंबर को दोपहर 1:1 बजे से शुरू होगी. वहीं यह तिथि अगले दिन 27 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार प्रधाना एकादशी व्रत 26 नवंबर को रखा जाएगा.