शिमला। हिमाचल पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की पहली मानव विकास रिपोर्ट ने बेशक हिमाचल की रेटिंग को देश से बेहतर बताया हो, लेकिन साथ में चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन राज्य के विकास मार्ग को बाधित कर सकता है। हिमाचल में भी वर्ष 2050 तक तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि, अत्यधिक वर्षा और ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने की संभावना जताई गई है। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के कई खतरनाक संकेतक दर्ज किए गए हैं। 1901 से अब तक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की गिरावट हुई है। जुलाई 2023 में 100 मिमी या उससे अधिक की अत्यधिक वर्षा रिकार्ड की गई है। बढ़ती बादल फटने की घटनाओं, अनिश्चित मानसून, मौसमी बदलाव यहां परेशान करेगा। पिछले पांच वर्षों में हिमाचल प्रदेश को खराब मौसम के कारण 46,000 करोड़ का नुकसान हुआ है।
इसी अवधि में फायर अलर्ट की संख्या 2022-23 में 714 से बढक़र 2023-24 में 10,000 से अधिक हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार राज्य के करीब 70 प्रतिशत पारंपरिक जलस्रोत खतरे में हैं। यह स्थिति और गंभीर इसलिए है क्योंकि राज्य की 80 प्रतिशत भूमि वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर है। इसमें कृषि, जल एवं वानिकी, निर्माण एवं पर्यटन, स्वास्थ्य, जलवायु वित्त एवं सुशासन शामिल था। इन चुनौतियों के बावजूद हिमाचल प्रदेश एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24 में देश के शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है। राज्य का मानव विकास सूचकांक 0.78 है, जो राष्ट्रीय औसत 0.63 से अधिक है।

