Manipur, इम्फाल : मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने गुरुवार को सभी हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों से जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों से निपटने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया। वह इम्फाल के सिटी कन्वेंशन सेंटर में भारतीय हिमालयी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन 2025 के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। मणिपुर सरकार के पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन निदेशालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जलवायु अनुकूलन से संबंधित अनुसंधान, नीति, अभ्यास और संचार पर ध्यान केंद्रित किया गया ।
राज्यपाल भल्ला ने आयोजकों की पहल की सराहना की और कहा कि पूर्वोत्तर, दुनिया के सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों में से एक होने के कारण, मज़बूत क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में तापमान में वृद्धि, अनियमित वर्षा और बाढ़ व सूखे की बढ़ती संभावना देखी गई है। राज्यपाल ने कहा, “वास्तविक परिवर्तन तभी संभव है जब विज्ञान, नीति और समुदाय एक साथ आएँ। हमें जलवायु बजट को हर क्षेत्र में एकीकृत करने और विशेष रूप से पूर्वोत्तर में, सतत क्षमता निर्माण करने की आवश्यकता है।”उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना संस्करण 2.0 के जा
री होने का स्वागत किया तथा इस बात पर बल दिया कि यह राष्ट्रीय योजना के अनुरूप एक मजबूत ढांचा प्रस्तुत करता है।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशक डॉ. टी. ब्रजकुमार सिंह ने ध्यान के प्रमुख क्षेत्रों पर प्रकाश डाला, जिनमें ब्लॉक और जलग्रहण स्तर पर उच्च-रिज़ॉल्यूशन जलवायु अनुमान, स्थानीय जोखिम और भेद्यता प्रोफाइल, संस्थागत नेटवर्क को मजबूत करना, क्षेत्रीय जलवायु अध्ययन केंद्रों की स्थापना, नीति अभिसरण में सुधार, जलवायु वित्त जुटाना, और हितधारकों और निजी निवेशकों को शामिल करना शामिल है। इस कार्यक्रम में कई प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया, जिनमें मणिपुर की आर्द्रभूमि (संस्करण 1.1), मणिपुर के झरने (संस्करण 1.0) और फुमदी-आधारित फ्लोटिंग ट्रीटमेंट वेटलैंड सिस्टम पर एक मैनुअल शामिल हैं।
प्रमुख सचिव (वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन) अरुण कुमार सिन्हा ने सत्र की अध्यक्षता की।