INS Arnala : नई दिल्ली। भारतीय नौसेना अपनी समुद्री ताकत को और मजबूत करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है। जून से दिसंबर 2025 के बीच नौसेना अपने बेड़े में 9 से 10 नए युद्धपोतों को शामिल करने जा रही है, जिनमें से अधिकांश स्वदेशी तकनीक से निर्मित हैं। इस कड़ी में पहला युद्धपोत, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो-वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) INS अर्नाला, 18 जून 2025 को विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में कमीशन किया जाएगा। यह आयोजन नौसेना की आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी रक्षा निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
INS अर्नाला: समुद्री सुरक्षा का नया प्रहरी
INS अर्नाला का नाम महाराष्ट्र के वसई में स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले के नाम पर रखा गया है, जो 1737 में मराठों द्वारा बनाया गया था। यह युद्धपोत गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE), कोलकाता और लार्सन एंड टुब्रो (L&T) शिपबिल्डर्स द्वारा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत निर्मित है। 77.6 मीटर लंबा और 1,490 टन वजनी यह युद्धपोत डीजल इंजन-वाटरजेट प्रणोदन प्रणाली से संचालित है, जो इसे भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा वाटरजेट चालित युद्धपोत बनाता है।
अर्नाला को एंटी-सबमरीन मिशन, भूमिगत निगरानी, खोज और बचाव कार्यों, और कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों (LIMO) के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जिसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), L&T, महिंद्रा डिफेंस, और MEIL जैसी कंपनियों के उन्नत सिस्टम शामिल हैं। इसकी गति 25 नॉट और रेंज 1,800 नॉटिकल मील (लगभग 3,300 किमी) है, जो इसे तटीय क्षेत्रों में प्रभावी बनाता है।
अन्य युद्धपोत जो बेड़े में होंगे शामिल-
INS तमाल: तलवार श्रेणी का दूसरा स्टील्थ फ्रिगेट, जो 2016 के भारत-रूस समझौते के तहत 2.5 बिलियन डॉलर की डील का हिस्सा है। यह जून 2025 के अंत तक कमीशन होगा। इस समझौते के तहत चार फ्रिगेट्स में से दो रूस के यंतर शिपयार्ड में और दो गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में रूसी तकनीक के साथ बनाए गए हैं। INS तुशील को दिसंबर 2024 में कमीशन किया गया था और फरवरी 2025 में भारत पहुंचा।
प्रोजेक्ट 17A (नीलगिरी-क्लास फ्रिगेट): मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और GRSE द्वारा संयुक्त रूप से निर्मित एक नीलगिरी-क्लास फ्रिगेट 2025 के अंत तक कमीशन हो सकता है।
डायविंग सपोर्ट शिप: हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन यह जहाज भी जल्द नौसेना में शामिल होगा।
सर्वेक्षण पोत: GRSE द्वारा बनाया गया एक बड़ा सर्वेक्षण पोत भी 2025 में बेड़े का हिस्सा बनेगा।
अन्य ASW-SWC: INS अर्नाला के बाद दो और शैलो-वाटर क्राफ्ट्स को इस साल कमीशन करने की योजना है।

स्वदेशी निर्माण और IDDM की सफलता-
भारतीय नौसेना युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रही है। स्वदेशी डिज़ाइन, डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग (IDDM) पहल के तहत, नए जहाजों के निर्माण में समय और लागत में उल्लेखनीय कमी आई है। INS अर्नाला के निर्माण में 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) ने योगदान दिया, जिससे स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिला। नौसेना का लक्ष्य 2035 तक 175 युद्धपोतों का बेड़ा तैयार करना है, जिसमें 2025 तक 155-160 जहाज शामिल होने की उम्मीद है।
INS वाग्शीर और MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर-
प्रोजेक्ट 75 के तहत छठी कलवरी-क्लास पनडुब्बी INS वाग्शीर को जनवरी 2025 में कमीशन किया गया था। यह डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी तटीय क्षेत्रों में गुप्त गश्त और हमले की क्षमता प्रदान करती है। इसके अलावा, प्रोजेक्ट 75I के तहत छह उन्नत पारंपरिक हमलावर पनडुब्बियों के लिए मूल्यांकन और लागत पर बातचीत चल रही है।
नौसेना को जुलाई 2025 तक अमेरिका से दो और MH-60R सीहॉक हेलीकॉप्टर प्राप्त होंगे। 24 हेलीकॉप्टरों के ऑर्डर में से अब तक 13 की डिलीवरी हो चुकी है। ये हेलीकॉप्टर नौसेना की समुद्री निगरानी और पनडुब्बी रोधी क्षमताओं को और मजबूत करेंगे।
नौसेना की रणनीतिक महत्वाकांक्षा-
नौसेना की यह विस्तार योजना भारतीय समुद्री क्षेत्र में उभरती चुनौतियों, विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की बढ़ती गतिविधियों का जवाब है। INS अर्नाला जैसे युद्धपोत तटीय सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ भारत की 7,500 किमी लंबी तटरेखा की निगरानी करेंगे। नौसेना की रणनीति में पनडुब्बी रोधी जहाजों, लंबी दूरी के समुद्री टोही विमानों, और मानवरहित हवाई वाहनों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
नौसेना अधिकारियों का कहना है कि INS अर्नाला का कमीशन न केवल भारत की नौसैनिक क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विजन को भी साकार करेगा। यह युद्धपोत समुद्र में दुश्मनों के लिए एक सशक्त चेतावनी है और भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत का प्रतीक है।

