Health Ministry: नई दिल्ली। अब बिस्किट, समोसा, जलेबी, वड़ा पाव और यहां तक कि लड्डू जैसे लोकप्रिय भारतीय नाश्तों पर भी तंबाकू की तरह चेतावनी दिखाई दे सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने जंक फूड को “नए तंबाकू” के रूप में चिन्हित करते हुए इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की दिशा में पहला बड़ा कदम उठाया है। मंत्रालय ने सभी केंद्रीय संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि वे खाद्य पदार्थों में मौजूद शुगर और फैट की स्पष्ट जानकारी देने वाले ‘ऑयल और शुगर बोर्ड’ लगाएं।
बढ़ते मोटापे पर चिंता-
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में मोटापे की दर तेजी से बढ़ रही है। मंत्रालय का अनुमान है कि वर्ष 2025 तक देश में करीब 4439 करोड़ लोग अधिक वजन या मोटापे से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं। यह स्थिति भारत को अमेरिका के बाद दुनिया का दूसरा सबसे अधिक प्रभावित देश बना सकती है।
विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में हर 5 में से 1 व्यक्ति अधिक वजन का शिकार है। बच्चों में फास्ट फूड की बढ़ती खपत और कम होती शारीरिक गतिविधियों ने इस संकट को और गहरा बना दिया है।
स्कूल, कॉलेज और सरकारी संस्थानों में शुरू होगी पहल-
नागपुर स्थित एम्स (AIIMS) समेत देश भर के केंद्रीय संस्थानों में इस नई नीति को लागू किया जा रहा है। यहां कैंटीन और सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे रंगीन चेतावनी बोर्ड लगाए जाएंगे, जिनमें लिखा होगा कि आपके खाने में कितनी चीनी और ट्रांस फैट है। इन बोर्डों पर संदेश होंगे जैसे “समझदारी से खाएं, आपका भविष्य का शरीर आपको धन्यवाद देगा।”
जलेबी-समोसे से लेकर लड्डू-पकौड़े तक होंगे दायरे में-
अब सिर्फ समोसा या चिप्स ही नहीं, बल्कि पारंपरिक भारतीय मिठाइयाँ और स्नैक्स जैसे जलेबी, गुलाब जामुन, लड्डू, पकौड़े और वड़ा पाव भी इस चेतावनी अभियान के तहत आएंगे। इन उत्पादों के साथ उनकी चीनी, तेल और फैट की जानकारी देना अनिवार्य किया जा सकता है।
विशेषज्ञों की राय-
डॉ. अमर आमले, कार्डियोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (नागपुर) के अध्यक्ष ने कहा “शुगर और ट्रांस फैट अब नए तंबाकू बन चुके हैं। खाने की लेबलिंग अब उतनी ही जरूरी है जितनी सिगरेट की चेतावनी।”
डॉ. सुनील गुप्ता, वरिष्ठ मधुमेह रोग विशेषज्ञ ने कहा “यह खाना बंद करने की मुहिम नहीं है, बल्कि सही जानकारी देने की कोशिश है। अगर लोगों को पता चले कि एक गुलाब जामुन में पांच चम्मच चीनी है, तो वे सोच-समझकर खाएंगे।”
रोक नहीं, लेकिन जागरूकता जरूरी-
सरकार किसी खाद्य उत्पाद पर सीधा प्रतिबंध नहीं लगा रही है। उद्देश्य केवल यह है कि लोग यह जान सकें कि वे क्या खा रहे हैं और उसका उनके स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय का यह कदम एक बड़े जनस्वास्थ्य जागरूकता अभियान का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी गैर-संचारी बीमारियों से बचाव है।