Durg. दुर्ग। दुर्ग की सत्र अदालत ने महिला दुर्गावती कश्यप की हत्या के मामले में आरोपी देवानंद निषाद को 10 साल के सश्रम कारावास और 1,000 रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। अदालत ने देवानंद की पत्नी पलक निषाद और इंदू टेमुरकर को सभी आरोपों से दोषमुक्त कर दिया।
घटना की पृष्ठभूमि
यह घटना 2 सितंबर 2023 को दुर्ग के पुरानी भिलाई थाना क्षेत्र में हुई थी। जानकारी के अनुसार, बच्चों के झगड़े को लेकर शुरू हुए घरेलू विवाद में देवानंद निषाद, पलक निषाद और इंदू टेमुरकर पर दुर्गावती कश्यप के साथ हाथ-मुक्के और डंडे से मारपीट करने का आरोप था। घटना के दौरान घायल महिला को भिलाई 3 शासकीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां 5 सितंबर 2023 को उनकी मृत्यु हो गई। इस घटना के बाद पुलिस ने तुरंत एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया।
अदालत में सुनवाई और साक्ष्य
अपर सत्र न्यायाधीश अवध किशोर की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। अभियोजन पक्ष की ओर से संजय कुमार सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया। अभियोजन ने पंकज कश्यप, रामकिशोर कश्यप और मेडिकल ऑफिसर डॉ. आशीष नागदेवे सहित कुल 12 गवाह पेश किए। साक्ष्यों के आधार पर अदालत ने पाया कि घटना में देवानंद निषाद का प्रत्यक्ष योगदान था। हालांकि, अश्लील गालियों या जान से मारने की धमकी के आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी।
अदालत का फैसला
सत्र अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 304 भाग 1 के तहत देवानंद निषाद को दोषी पाया। उसे 10 वर्ष का सश्रम कारावास और 1,000 रुपये का अर्थदंड दिया गया। यदि अर्थदंड का भुगतान नहीं किया गया तो 15 दिन का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा। पलक निषाद और इंदू टेमुरकर को पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण सभी आरोपों से दोषमुक्त किया गया।
पीड़ित परिवार और प्रतिकर
अदालत ने निर्देश दिया कि मृतक दुर्गावती कश्यप के परिवार को पीड़ित प्रतिकर योजना के तहत न्यायिक प्रतिकर राशि प्रदान की जाए। यह राशि परिवार की शारीरिक, मानसिक और भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दी जाएगी।
आरोपी की न्यायिक हिरासत
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी देवानंद निषाद ने जो समय न्यायिक हिरासत में बिताया है, उसे उनकी सजा में शामिल किया जाएगा। उन्हें तुरंत केन्द्रीय जेल, दुर्ग भेज दिया गया।
स्थानीय प्रतिक्रिया
घटना और सजा की खबर के बाद स्थानीय लोगों ने राहत की सांस ली। न्यायपालिका के इस फैसले को कठोर और न्यायपूर्ण करार दिया गया। स्थानीय समाज ने कहा कि यह फैसला महिला सुरक्षा और न्यायिक कार्यवाही के लिए सकारात्मक संदेश देता है।

