वे दक्षिण भारत में भाजपा की नींव मजबूत करने वाले उन चंद नेताओं में से हैं जिन्होंने पार्टी को वहां पहचान दिलाई।
CP Radhakrishnan becomes new Vice President: नई दिल्ली। देश को सीपी राधाकृष्णन के रूप में नया उपराष्ट्रपति मिल गया है, वे अब जगदीप धनखड़ की जगह लेंगे। सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी बनने से पहले वे महाराष्ट्र के राज्यपाल थे और उनके पास झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी जैसे राज्यों का भी प्रशासनिक अनुभव रहा है। लेकिन उनका राजनीतिक सफर सिर्फ पदों तक सीमित नहीं रहा। वे दक्षिण भारत में भाजपा की नींव मजबूत करने वाले उन चंद नेताओं में से हैं जिन्होंने पार्टी को वहां पहचान दिलाई।
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 1957 में तमिलनाडु के तिरुप्पुर जिले में हुआ। उन्होंने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में स्नातक की पढ़ाई की और बहुत कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। महज 16 साल की उम्र में उन्होंने सक्रिय सामाजिक जीवन की शुरुआत की। 1974 में वे जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति का हिस्सा बने।
राजनीति में उनकी शुरुआत तब हुई जब तमिलनाडु में भाजपा को जनाधार बनाने में मुश्किल हो रही थी। 1996 में वे राज्य भाजपा के सचिव बने और 1998 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। यह वह दौर था जब भाजपा को दक्षिण में सफलता मिलना कठिन माना जाता था। उन्होंने 1999 में भी जीत दर्ज की।
अपने संसदीय कार्यकाल में उन्होंने कपड़ा उद्योग से जुड़ी संसदीय समिति का नेतृत्व किया और वित्तीय मामलों से जुड़ी कई समितियों के सदस्य रहे। खास बात यह रही कि वे उस विशेष समिति का हिस्सा भी थे जिसने शेयर बाजार घोटाले की जांच की थी।
2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल हुए। इसके अलावा वे ताइवान जाने वाले पहले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा थे। 2004 से 2007 के बीच उन्होंने तमिलनाडु भाजपा की कमान संभाली और उस दौरान 93 दिनों में 19,000 किलोमीटर लंबी रथ यात्रा निकालकर पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कोशिश की।
उनकी यह यात्रा सामाजिक सरोकारों से जुड़ी थी। इसमें उन्होंने भारतीय नदियों को जोड़ने, आतंकवाद को खत्म करने, समान नागरिक संहिता लागू करने और मादक पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाने जैसे मुद्दे उठाए। इसके अलावा उन्होंने दो और पदयात्राओं का नेतृत्व भी किया। उन्हें कोच्चि स्थित कॉयर बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया और उनके नेतृत्व में भारत का कॉयर निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। 2020 से 2022 तक वे केरल भाजपा के प्रभारी भी रहे और वहां संगठनात्मक ढांचे को सुदृढ़ किया।
18 फरवरी 2023 को उन्हें झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया और पहले चार महीनों में ही वे राज्य के सभी 24 जिलों में पहुंचे। झारखंड के बाद उन्होंने महाराष्ट्र की जिम्मेदारी संभाली, जहां उन्होंने शिक्षा, ग्रामीण विकास और प्रशासनिक पारदर्शिता को प्राथमिकता दी।

