आसाराम बापू के गुरुकुल की अवैध दीवार ढहाई (Photo: X|@FreePressMP)
भोपाल (मध्य प्रदेश), 31 जुलाई: जिला प्रशासन के अधिकारी गुरुवार को भोपाल के गांधीनगर स्थित आसाराम बापू के आश्रम परिसर में गुरुकुल में अवैध निर्माण को ध्वस्त करने पहुंचे. गुरुकुल की ज़मीन के विवादित हिस्से पर अदालती मामले के बाद उन्होंने गुरुकुल की चारदीवारी को ध्वस्त कर दिया. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को स्थानीय लोगों और गुरुकुल में पढ़ने वाले छात्रों के विरोध का सामना करना पड़ा. यह तोड़फोड़ गुजरात हाई कोर्ट द्वारा आसाराम बापू की अंतिम ज़मानत अवधि 7 अगस्त को समाप्त होने से एक हफ़्ते पहले की गई है. यह कार्रवाई कड़ी सुरक्षा के बीच की गई और किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया. यह भी पढ़ें: Malegaon Blast Case Verdict: ‘मुझे 17 साल तक अपमानित किया गया’, मालेगांव विस्फोट मामले में बरी होने के बाद रो पड़ीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
इस महीने की शुरुआत में गुजरात हाई कोर्ट ने आसाराम बापू की अस्थायी चिकित्सा जमानत को एक महीने के लिए बढ़ा दिया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यह अंतिम विस्तार होगा. 86 वर्षीय दोषी 2001 से 2006 के बीच अपने अहमदाबाद आश्रम में एक महिला शिष्या के साथ बलात्कार के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. वह 2013 में राजस्थान स्थित अपने आश्रम में एक नाबालिग के साथ बलात्कार के लिए भी अलग से आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.
भोपाल में आसाराम बापू के गुरुकुल की अवैध दीवार पर चला बुलडोज़र
#WATCH | A Gurukul inside Asaram Bapu’s ashram in Bhopal near Asaram Bapu Chouraha in Gandhinagar demolished a week ago his final bail extension.#MadhyaPradesh #MPNews #Bhopal pic.twitter.com/4czrtNk2Vq
— Free Press Madhya Pradesh (@FreePressMP) July 31, 2025
आसाराम के वकील ने चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए उनकी ज़मानत अवधि तीन महीने बढ़ाने की याचिका दायर की थी. हालांकि, न्यायमूर्ति इलेश वोरा और न्यायमूर्ति पीएम रावल की खंडपीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया और इसके बजाय केवल 30 दिन और दिए. यह फैसला 30 जून से 7 जुलाई तक के लिए पहले दिए गए अल्पकालिक विस्तार के बाद आया है.
विवादास्पद आध्यात्मिक हस्ती आसाराम को जनवरी 2023 में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं, जिनमें धारा 376(2)(सी) (बलात्कार), धारा 377 (अप्राकृतिक अपराध) और धारा 354 (शील भंग करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल प्रयोग) शामिल हैं, के तहत दोषी ठहराया गया था.

