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MiG-21 Retirement: भारतीय वायुसेना के इतिहास का एक सुनहरा अध्याय आज समाप्त हो गया. छह दशकों तक भारतीय आसमान की रक्षा करने वाला, दुश्मनों के दिलों में खौफ पैदा करने वाला और न जाने कितने युद्धों का गवाह रहा लड़ाकू विमान मिग-21 (MiG-21) आज रिटायर हो गया. चंडीगढ़ एयरबेस पर हुए एक भव्य समारोह में इस ‘सुपरसोनिक’ योद्धा को आखिरी विदाई दी गई. यह वही विमान है जिसने 1965 से लेकर 2019 के बालाकोट एयर स्ट्राइक तक, हर जंग में भारत को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई.
शानदार विदाई, आखिरी उड़ान और वाटर कैनन सैल्यूट
चंडीगढ़ में आयोजित विदाई समारोह बेहद खास था. इस मौके पर खुद वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने 6 मिग-21 विमानों के बेड़े के साथ इसकी आखिरी उड़ान भरी. इस ऐतिहासिक उड़ान में स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा भी शामिल हुईं, जो मिग-21 उड़ाने वाली आखिरी महिला पायलट बनकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं.
#WATCH | Chandigarh | MIG-21 aircraft flies in formation with indigenous Tejas Aircraft, giving out the message ‘I hand over the glory to the next lineage’.
MiG-21s were inducted into the Indian Air Force in 1963, and will be decommissioned today after 63 years of service. pic.twitter.com/pXwDmDb5fx
— ANI (@ANI) September 26, 2025
MiG-21 को वाटर कैनन सैल्यूट दिया गया
#WATCH | Chandigarh | MiG-21s receive a water gun salute as they decommission after 63 years in service. pic.twitter.com/cPWLHBDdzs
— ANI (@ANI) September 26, 2025
जैसे ही ये विमान अपनी आखिरी उड़ान पूरी करके उतरे, उन्हें पानी की बौछारों से ‘वाटर कैनन सैल्यूट’ दिया गया. यह सम्मान उन जांबाज़ विमानों के लिए था, जिन्होंने 62 साल तक देश की सेवा की. इस भावुक पल के गवाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और तीनों सेनाओं के प्रमुख बने.
#WATCH | Chandigarh | Chief of Air Force, Air Chief Marshal AP Singh flew the last sortie of the MIG-21 as the aircraft fleet decommissions today.
MiG-21s were inducted into the Indian Air Force in 1963, and will be decommissioned today after 63 years of service. pic.twitter.com/sSIXLfwmdc
— ANI (@ANI) September 26, 2025
जब-जब दुश्मन ने ललकारा, मिग-21 ने दिया मुंहतोड़ जवाब
मिग-21 सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना की ‘रीढ़ की हड्डी’ था. इसे 1963 में सोवियत रूस से खरीदा गया था और यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था, यानी यह आवाज की रफ्तार से भी तेज उड़ सकता था. इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने हर बड़ी जंग में दुश्मनों को धूल चटाई.
लड़ाकू विमान मिग-21 को आखिरी बार उड़ाने वाले भारतीय वायुसेना के पायलट
- 1971 का युद्ध: इस जंग में मिग-21 एक ‘गेम-चेंजर’ साबित हुआ. इसने पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह कर दिए और भारत की जीत की पटकथा लिखी.
- 1999 कारगिल युद्ध: कारगिल की ऊंची और दुर्गम पहाड़ियों पर छिपे दुश्मनों के ठिकानों को मिग-21 ने ढूंढ-ढूंढकर नष्ट किया. इसने साबित कर दिया कि ऊंचाई पर भी इसकी मारक क्षमता का कोई मुकाबला नहीं.
- 2019 बालाकोट एयर स्ट्राइक: यह वो मौका था जब दुनिया ने एक बार फिर मिग-21 का लोहा माना. ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान ने इसी पुराने मिग-21 बाइसन से पाकिस्तान के आधुनिक एफ-16 विमान को मार गिराया था.
#WATCH | Chandigarh | The decommissioning ceremony of the Indian Air Force’s MIG-21 fighter aircraft fleet is underway. pic.twitter.com/YTUGpRaLKW
— ANI (@ANI) September 26, 2025
विवादों से भी रहा नाता
अपनी शानदार सेवा के बावजूद, मिग-21 का सफर विवादों से अछूता नहीं रहा. पिछले कुछ दशकों में इसके साथ कई दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें कई पायलटों ने अपनी जान गंवाई. इसके पुराने हो चुके बेड़े के सुरक्षा रिकॉर्ड पर भी कई बार सवाल उठे, और दुखद रूप से इसे ‘उड़ता ताबूत’ (Flying Coffin) तक कहा जाने लगा.
अब ‘तेजस’ संभालेगा कमान
मिग-21 के रिटायरमेंट के साथ ही एक युग का अंत हो गया है. अब इसकी जगह भारत में ही बना आधुनिक लड़ाकू विमान ‘तेजस’ एलसीए मार्क 1A लेगा. यह वायुसेना के आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है.
वायुसेना के मिग-21 ‘योद्धा’ को आखिरी सलाम
भले ही मिग-21 आज सेवा से हट गया हो, लेकिन भारतीय वायुसेना के इतिहास में इसका योगदान हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. यह एक ऐसा योद्धा था, जिसने अपनी आखिरी सांस तक देश की रक्षा की.