
नोएडा, 27 सितंबर : यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो-2025 (UP International Trade Show 2025) में इस बार एक ऐसी तकनीक ने सबका ध्यान खींचा है, जो कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है. “भू परिक्षक” नाम की यह स्मार्ट सॉइल टेस्टिंग मशीन आईआईटी कानपुर के छात्रों द्वारा तैयार की गई है. स्कैनेक्स नामक क्लाइमेट-स्मार्ट टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के फाउंडर रजत वर्धन और उनकी टीम ने मिलकर इसे विकसित किया है. अब तक किसान को अपनी जमीन की मिट्टी की जांच कराने के लिए 80 से 100 दिन तक इंतजार करना पड़ता था, जबकि इस मशीन से मात्र 90 सेकेंड में सटीक रिजल्ट मिल जाता है. मशीन इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी, आईओटी और एआई/एम एल तकनीक पर आधारित है. यह पूरी तरह ऑटोमैटिक और बैटरी ऑपरेटेड है.
वजन मात्र 350 ग्राम होने के कारण किसान इसे आसानी से कहीं भी लेकर जा सकता है. मशीन में एक छोटा सा सांचा दिया गया है, जिसमें किसान केवल 10 ग्राम मिट्टी डालता है. स्टार्ट बटन दबाते ही मशीन 90 सेकंड के भीतर रिपोर्ट तैयार कर देती है. यह एक साथ छह तरह के परिणाम देती है. जिनमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, क्ले (मिट्टी की बनावट), क्लोरो-फ्लोरो कार्बन बताती है. जिसके बाद पोषक तत्वों की कमी और उसकी भरपाई के लिए प्रति एकड़ कितनी मात्रा में उर्वरक डालना चाहिए, ये भी पता चलता है. यह भी पढ़ें : BSNL का 4जी स्टैक भारत की निर्भरता से आत्मनिर्भरता की यात्रा को दर्शाता है: पीएम मोदी
फिलहाल यह मशीन सीधे किसानों को उपलब्ध नहीं कराई गई है. इसे चुनिंदा सेंटरों से उपयोग के लिए लिया जा सकता है. स्कैनेक्स टीम का कहना है कि आने वाले समय में इसे ब्लॉक स्तर तक पहुंचाया जाएगा ताकि हर किसान अपने खेत की मिट्टी खुद टेस्ट कर सके. अब तक 20 राज्यों के 150 गांवों में यह तकनीक पहुंच चुकी है. करीब 60 हजार किसान नियमित रूप से इस मशीन से मिट्टी की जांच कर रहे हैं. किसानों का मानना है कि समय पर और सटीक स्वायल रिपोर्ट मिलने से खाद और उर्वरक के खर्च में कमी आई है और पैदावार में भी बढ़ोतरी हुई है