Siachen Avalanche: दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) से एक दुखद खबर सामने आई है. मंगलवार को यहां आए भयंकर हिमस्खलन (Avalanche) ने तीन भारतीय सैनिकों की जान ले ली. शहीदों में दो अग्निवीर और एक जवान शामिल हैं. वहीं, एक आर्मी कैप्टन को सुरक्षित बचा लिया गया. यह हादसा करीब 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन बेस कैंप में हुआ. तापमान यहां अक्सर माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है. जवान घंटों तक बर्फ के नीचे दबे रहे और पांच घंटे बाद तीनों की मौत हो गई.
शहीद जवानों का संबंध
महार रेजिमेंट से जुड़े ये जवान अलग-अलग राज्यों से थे एक गुजरात से, एक उत्तर प्रदेश से, एक झारखंड से उनकी शहादत से पूरे देश में शोक की लहर है.
बार-बार क्यों आते हैं सियाचिन में हिमस्खलन?
सियाचिन ग्लेशियर, जो एलओसी (LoC) के उत्तरी छोर पर स्थित है, मौसम और भूगोल की दृष्टि से बेहद खतरनाक है. यहां बर्फबारी और हिमस्खलन आम बात है.
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- 2021 में उप-क्षेत्र हनीफ में हिमस्खलन से दो सैनिक शहीद हुए थे.
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- 2019 में हिमस्खलन ने चार सैनिकों और दो पोर्टरों की जान ले ली थी.
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- 2022 में अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में 7 सैनिक शहीद हो गए थे, जब उनकी बॉडी तीन दिन बाद बर्फ से बाहर निकाली जा सकी.
सेना की तैयारी
बार-बार होने वाले इन हादसों के कारण सेना ने 2022 में पहली बार 20 आधुनिक हिमस्खलन रेस्क्यू सिस्टम स्वीडन से खरीदे थे. यह कदम लंबे समय से जरूरी था ताकि बर्फ में दबे सैनिकों की जान समय रहते बचाई जा सके.
सियाचिन: वीरता और बलिदान का प्रतीक
सियाचिन ग्लेशियर सिर्फ भारत का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र ही नहीं, बल्कि वीरों की शौर्यगाथा का भी प्रतीक है. यहां तैनात सैनिक न सिर्फ दुश्मनों से बल्कि प्रकृति के कहर से भी लड़ते हैं. हर साल कई जवान यहां देश की रक्षा करते हुए अपनी जान न्योछावर कर देते हैं.

