मुंबई: मुंबई के मशहूर लालबागचा राजा (Lalbaugcha Raja) गणेशोत्सव मंडल पर इस बार सिर्फ श्रद्धा और भक्ति की नहीं, बल्कि गंभीर आरोपों की चर्चा है. महाराष्ट्र राज्य मानवाधिकार आयोग (SHRC) ने मंडल के कार्यकर्ताओं और वीआईपी दर्शन व्यवस्था को लेकर सख्त टिप्पणी की है. आयोग ने साफ कहा, “कार्यकर्ताओं को कोई हक नहीं कि वे भक्तों के मानवाधिकारों का उल्लंघन करें.”
हर साल लाखों श्रद्धालु लालबागचा राजा के दर्शन करने पहुंचते हैं. लेकिन शिकायत यह है कि जहां VIP के लिए सरकार की मशीनरी तक लगाई जाती है, वहीं आम भक्तों को 24 से 48 घंटे तक लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है. आरोप है कि इस दौरान भक्तों के साथ धक्का-मुक्की, दुर्व्यवहार और कभी-कभी मारपीट तक होती है.
महिला और बुजुर्ग भक्तों के साथ बदसलूकी
SHRC ने कई वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि भीड़ नियंत्रण में लापरवाही से महिला श्रद्धालुओं, बुजुर्गों और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आई हैं. कई भक्त बेहोश हो गए, तो कई बार कपड़े तक फाड़ दिए गए. आयोग ने इसे मानवाधिकारों का सीधा उल्लंघन बताया.
कार्यकर्ता नहीं कर सकते मनमानी- SHRC
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि मंडल के स्वयंसेवक और प्राइवेट गार्ड्स, दोनों को यह समझना होगा कि वे भक्तों के अधिकारों से ऊपर नहीं हैं. आयोग ने सवाल उठाया कि जब भीड़ हर साल बढ़ती है तो फिर राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन ओवर एंथुजियास्टिक कार्यकर्ताओं को क्यों नहीं हटाकर प्रशिक्षित स्टाफ तैनात करता?
मंडल पर भी गिर सकती है गाज
SHRC ने यह भी साफ किया कि यदि लापरवाही और मानवाधिकार उल्लंघन साबित हुआ तो मंडल के खिलाफ भी सिविल परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. आयोग ने कहा कि भले ही मंडल कोई राज्य प्राधिकरण नहीं है, लेकिन मानवाधिकार कानून के तहत नोटिस जारी करना जरूरी है.
7 अक्टूबर को अगली सुनवाई
आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव, गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, मुंबई पुलिस आयुक्त, बीएमसी आयुक्त और लालबागचा राजा मंडल के अध्यक्ष व सचिव से छह हफ्तों के भीतर जवाब मांगा है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी.

