ब्लिंकिट के डाटा के मुताबिक, नए साल के पहले ही दिन एक लाख से ज्यादा कंडोम ऑर्डर किए गए. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था. इसी तरह के पैटर्न को पहले भी देखा गया था, जब भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान महज कुछ घंटों में 10,000 से ज्यादा कंडोम ऑर्डर किए गए थे.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भारत में कंडोम का उपयोग कम हो रहा है. इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि कौन से राज्य कंडोम का सबसे ज्यादा उपयोग करते हैं और किस राज्य में इसके उपयोग में कमी आई है. साथ ही, कंडोम के उपयोग के बारे में जागरूकता की कमी और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं पर भी प्रकाश डाला गया है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2021-22 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, दादरा नगर हवेली भारत का वह राज्य है जहां कंडोम का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है. यहां 10,000 में से 993 जोड़े यौन संबंधों के दौरान कंडोम का उपयोग करते हैं. इस सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि आंध्र प्रदेश का नंबर दूसरे स्थान पर है, जहां 10,000 में से 978 जोड़े कंडोम का उपयोग करते हैं.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 6% लोग ऐसे हैं जिन्हें कंडोम के बारे में जानकारी नहीं है. इसका मतलब है कि केवल 94% लोग ही कंडोम के बारे में जानते हैं और इसका उपयोग करते हैं. कंडोम के उपयोग में कमी और जागरूकता की कमी से स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने का खतरा है. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग लगातार लोगों को इसके इस्तेमाल के लिए जागरूक कर रहा है.
यूपी में कंडोम की खपत सबसे अधिक
यूपी में कंडोम की खपत सबसे अधिक है. यहां हर साल औसतन 5.3 करोड़ कंडोम का उपयोग होता है. यह आंकड़ा दूसरे राज्यों से काफी अधिक है. यूपी के हेल्थ सेंटरों और सरकारी अस्पतालों में कंडोम की बिक्री मुफ्त होती है, लेकिन इसके बावजूद कंडोम के उपयोग में कमी आ रही है.
सर्वे के अनुसार, कई राज्यों में कंडोम का उपयोग घट रहा है. उदाहरण के तौर पर, पुडुचेरी में 10,000 में से 960, पंजाब में 895, चंडीगढ़ में 822, और हरियाणा में 685 जोड़े ही कंडोम का उपयोग करते हैं. वहीं, हिमाचल प्रदेश में यह आंकड़ा 567, राजस्थान में 514 और गुजरात में 430 है.
कंडोम का उपयोग और जागरूकता
भारत में कंडोम के उपयोग में कमी और जागरूकता की कमी के बावजूद, सरकार स्वास्थ्य संबंधी अभियान चला रही है ताकि लोग इसके महत्व को समझें और इसे अपनाएं. हालांकि, इसके प्रभावी उपयोग के लिए और जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें न बढ़ें.