
India Palestine Aid 2025
India Palestine Aid 2025: भारत सरकार ने पिछले 11 वर्षों में फिलिस्तीन को लगभग 80 मिलियन डॉलर की विकासात्मक और मानवीय सहायता दी है, जो पिछले 65 सालों में दी गई राशि से लगभग दोगुनी है. भारतीय अधिकारियों के अनुसार, 2014 से यह सहायता न केवल प्रोजेक्ट्स के लिए है, बल्कि इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे से संबंधित कई कार्यक्रम भी शामिल हैं. संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) पर इजराइल के प्रतिबंध के बावजूद, भारत इस एजेंसी को सालाना 5 मिलियन डॉलर प्रदान कर रहा है. 2020-21 से, भारत ने UNRWA को कुल 27.5 मिलियन डॉलर ट्रांसफर किए हैं.
इसके अतिरिक्त, लगभग 40 मिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट्स वर्तमान में पाइपलाइन में हैं, जिन्हें भविष्य में क्रियान्वित (Implemented) किया जाएगा.
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आलोचना और भारत का रुख
गाजा संघर्ष (Gaza conflict) पर “अपना रुख बदलने” के लिए भारत सरकार की कुछ आलोचना भी हुई है, खासकर जब उसने जून 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में युद्धविराम प्रस्ताव (Ceasefire Proposal) पर मतदान से परहेज किया था. हालांकि, भारतीय अधिकारियों का कहना है कि भारत की नीति अपरिवर्तित है. भारत ने लगातार द्वि-राष्ट्र समाधान (Two-State Solution) का समर्थन किया है और पिछले 10 वर्षों में इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के 175 प्रस्तावों के खिलाफ कभी मतदान नहीं किया है.
इजराइल-फिलिस्तीन पर भारत का रुख
भारत ने 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के आतंकवादी हमलों (Israel-Hamas War) की कड़ी निंदा की और इजराइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया. इसने गाजा में नागरिकों के हताहत (Gaza Massacre) होने पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने का आग्रह किया. इसलिए, भारत ने लगातार युद्धविराम, सभी बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता की सुरक्षित और समय पर आपूर्ति का आह्वान किया है.
हाल ही में इजराइली वित्त मंत्री बेजलेल स्मोट्रिच (Israeli Finance Minister Bezalel Smotrich) की भारत यात्रा पर सवाल उठे थे, लेकिन भारतीय अधिकारियों का कहना है कि यह यात्रा केवल एक निवेश समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए थी जो पिछले छह वर्षों से लंबित था.
राजनयिक संकेत
फिलिस्तीनी राजदूत अब्दुल्ला शावेश (Palestinian Ambassador Abdullah Shawesh) ने भी हाल ही में कहा था कि वह भारत के रुख से संतुष्ट हैं. भारत ने बार-बार दोहराया है कि स्थायी समाधान निकालने के लिए इजराइल और फिलिस्तीन के बीच शांति वार्ता (Peace talks between Israel and Palestine) जल्द से जल्द शुरू होनी चाहिए.