
Lymphatic Filariasis Disease: देश में बढ़ते दुर्बल बीमारी लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के रोकथाम के लिए मोदी सरकार ने बड़ी मोहित शुरू की हैं. जिस मुहीम के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा (Minister JP Nadda) ने आज 13 राज्यों में लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय जन औषधि प्रशासन (MDA) दौर का शुभारंभ किया. इस बीमारी को लेकर स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का कहना है कि इस पहल का उद्देश्य लाखों लोगों को इस दुर्बल करने वाली बीमारी से बचाना और लिम्फैटिक फाइलेरियासिस के खिलाफ भारत की लड़ाई में तेजी लाना है.
लिम्फेटिक फाइलेरियासिस क्या है
लिम्फेटिक फाइलेरियासिस (एलएफ), जिसे आमतौर पर हाथीपांव के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर संक्रमणकारी बीमारी है, जो मुख्य रूप से लिंफैटिक सिस्टम (रक्तवाहिनियों के अंतर्गत लिंफ को ले जाने वाली प्रणाली) को प्रभावित करती है. यह बीमारी फाइलेरिया नामक परजीवी द्वारा उत्पन्न होती है, जो मच्छरों के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है.
लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का कारण
लिम्फेटिक फाइलेरियासिस का कारण फाइलेरिया नामक परजीवी होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं:
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- वुचेरेरिया बैनक्रॉफ्टी- Wuchereria bancrofti
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- ब्रुगिया मलयि-Brugia malayi
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- ब्रुगिया तिमोरी-Brugia timori
ये परजीवी मच्छरों के द्वारा मनुष्यों में संक्रमण फैलाते हैं, जब संक्रमित मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है। इन परजीवियों के संक्रमण से शरीर में लिंफेटिक सिस्टम की कार्यक्षमता प्रभावित होती है.
लक्षण और प्रभाव
इस बीमारी के लक्षण समय के साथ विकसित होते हैं, और इसके परिणामस्वरूप गंभीर शारीरिक विकृतियां हो सकती हैं। इसके सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:
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- शरीर के अंगों में सूजन, विशेषकर पैरों, अंडकोष या स्तनों में.
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- गहरे दर्द और संक्रमण।
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- शरीर के अंगों का आकार बढ़ना और हार्ड हो जाना, जिसे हाथीपांव कहा जाता है।
यदि यह बीमारी ठीक से उपचारित न की जाए, तो यह विकलांगता का कारण बन सकती है, जिससे प्रभावित व्यक्ति का जीवन कठिन हो सकता है.
लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के इलाज के उपाय
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- दवाइयां: लिम्फेटिक फाइलेरियासिस के इलाज में दवाइयों का उपयोग किया जाता है, जो परजीवियों को मारने में मदद करती हैं। इसमें प्रमुख दवाएं हैं, जैसे Diethylcarbamazine (DEC) और Ivermectin।
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- स्वच्छता और जीवनशैली: प्रभावित क्षेत्रों में मच्छरों के काटने से बचने के लिए उचित स्वच्छता और जीवनशैली में बदलाव जरूरी हैं.
मोदी सरकार का कदम
मोदी सरकार ने इस बीमारी को खत्म करने के लिए एक राष्ट्रीय अभियान शुरू किया है. नेशनल फाइलेरिया एलिमिनेशन प्रोग्राम (NPEP) के तहत, सरकार का लक्ष्य 2030 तक भारत से इस बीमारी को पूरी तरह समाप्त करना है। इस पहल के अंतर्गत, विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से मुफ्त दवाओं का वितरण और मच्छर नियंत्रण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
साथ ही, देशभर में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न अभियान और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग इस बीमारी के बारे में अधिक जान सकें और मच्छरों से बचाव के उपायों को अपनाएं.
अहम सुझाव
लिम्फेटिक फाइलेरियासिस एक गंभीर और दुर्बल करने वाली बीमारी है, लेकिन इसके उपचार और रोकथाम के लिए सही कदम उठाए जा सकते हैं। मोदी सरकार की यह पहल निश्चित रूप से भारत को इस बीमारी से मुक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है.