नैनीताल, 18 फरवरी : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी और जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक को कालागढ़ बांध के पास जर्जर इमारतों को ढहाने के निर्देश दिए हैं . कालागढ़ कल्याण और उत्थान समिति ने कालागढ़ बांध क्षेत्र में विभिन्न इमारतों में रहने वाले लोगों के हितों के संरक्षण के लिए जनहित याचिका दायर की थी . यह क्षेत्र कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में आता है . पौड़ी के जिलाधिकारी आशीष चौहान ने सोमवार को अदालत को अवगत कराया कि बांध क्षेत्र में विभिन्न इमारतों में रह रहे कब्जाधारियों के पुनर्वास के संबंध में कुछ मानदंड अपनाए गए हैं जिसके तहत वैकल्पिक आवास वाले व्यक्ति पुनर्वास के हकदार नहीं होंगे जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों ने परोपकार की भावना से 213 कब्जेदारों के पुनर्वास का निर्णय लिया है.
इससे पूर्व, उच्च न्यायालय ने उक्त क्षेत्र पर एक सर्वेक्षण रिपोर्ट मांगी थी जिसके बाद राजस्व विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग और पुलिस विभागों के अधिकारियों ने 12 फरवरी को क्षेत्र का संयुक्त निरीक्षण और सर्वेंक्षण किया था . इस टीम में पौड़ी गढ़वाल के अपर जिलाधिकारी और कोटद्वार के उपजिलाधिकारी भी शामिल थे . सर्वेंक्षण के दौरान 72 जर्जर इमारतें पायी गयीं . इनके अलावा, 25 अन्य इमारतें वन विभाग की इमारतों की अतिरिक्त हैं . ये इमारतें भी जर्जर स्थिति में हैं और सुरक्षा की दृष्टि से इन्हें ढहाना जरूरी है . यह भी पढ़ें : Death of Nepali Student: नेपाल दूतावास के दो अधिकारी ओडिशा के इंजीनियरिंग संस्थान का दौरा कर सकते है
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा ने जिलाधिकारी को जनता को इमारतें ढहाने की सूचना देने के लिए नोटिस जारी करने तथा उसके 15 दिन के बाद ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया संचालित करने के निर्देश दिए . अदालत ने ये भी निर्देश दिए कि ध्वस्तीकरण से उन हिस्सों को कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए जहां लोग स्थायी रूप से रह रहे हैं . अदालत ने कहा कि ध्वस्तीकरण को यथासंभव शीघ्रता और कुशलता से पूरा किया जाए तथा जिलाधिकारी और जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक अपनी—अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने रखेंगे .

