India US Tension: भारत और अमेरिका के संबंध (India US Relations) पिछले कुछ समय से लगातार तनाव में हैं. इस बीच New York Times की एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है. रिपोर्ट के अनुसार, 11 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच हुई फोन पर बातचीत ने दोनों देशों के संबंधों में दरार पैदा कर दी. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 17 जून को एक और कॉल में ट्रंप ने मोदी से कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव खत्म (India-Pakistan Ceasefire) कर दिया है.
इतना ही नहीं, ट्रंप ने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) के लिए नामांकित करेगा और भारत को भी ऐसा ही करना चाहिए.
पाकिस्तान के साथ सीजफायर पर छिड़ा विवाद
बताया जा रहा है कि मोदी ने इस दावे को सीधे तौर पर खारिज कर दिया और साफ कहा कि युद्धविराम का फैसला भारत और पाकिस्तान ने आपस में लिया है, इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है. मोदी की इस प्रतिक्रिया के बावजूद, ट्रंप ने सार्वजनिक मंचों पर यही दावा दोहराया, जिससे नई दिल्ली का गुस्सा और बढ़ गया.
रिपोर्टों के अनुसार, उस कॉल के बाद से मोदी और ट्रंप के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है. ब्लूमबर्ग की एक अन्य रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मोदी ने ट्रंप के “मध्यस्थता” के दावे को लेकर उन्हें कड़ी फटकार लगाई थी.
‘ट्रंप ने मोदी को व्हाइट हाउस आमंत्रित किया था’
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रंप ने मोदी को व्हाइट हाउस (White House) आमंत्रित किया था, जहां पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर (Pakistan Army Chief Asim Munir) भी मौजूद रहेंगे. लेकिन मोदी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और बाद में सार्वजनिक रूप से कहा कि उनका क्रोएशिया दौरा पहले से तय था.
भारतीय अधिकारियों के अनुसार, भारत ने इसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी (Pakistan-Backed Terrorists) गतिविधियों को अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने जैसा कदम माना.
ट्रंप के फैसलों से भारत को लगा बड़ा झटका
यह तनाव केवल कूटनीति तक ही सीमित नहीं था. अमेरिका ने पहले भारत से आयातित वस्तुओं पर 25 प्रतिशत और फिर 50 प्रतिशत तक टैरिफ (50 Percent Tariff) लगाया, जिसका कारण भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना बताया गया. इन फैसलों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया.
इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय छात्रों के लिए वीजा पर प्रतिबंध, एच-1बी वीजा (H-1B Visa) धारकों पर सख्ती और अवैध भारतीय प्रवासियों को वापस भेजने जैसे कदम उठाए, जिससे संबंध और बिगड़ते गए.
पीएम मोदी की चीन यात्रा का क्या है मकसद?
ऐसे माहौल में, प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा और राष्ट्रपति शी जिनपिंग (President Xi Jinping) व रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) से मुलाकात इस बात का संकेत है कि भारत पूर्वी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है. भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती कड़वाहट की पृष्ठभूमि में यह कदम बेहद अहम माना जा रहा है.

