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गुरुग्राम,हरियाणा: गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल में एक 70 साल के बुजुर्ग का ऑपरेशन किया गया. जिसमें बुजुर्ग के पित्ताशय से 8,125 पत्थर निकाले गए. जिसके कारण बुजुर्ग की जान बच गई.
भारत के चिकित्सा इतिहास में एक और चमत्कारिक उपलब्धि दर्ज हो गई है. गुरुग्राम के फोर्टिस हॉस्पिटल में डॉक्टरों की एक टीम ने 70 वर्षीय बुज़ुर्ग के पित्ताशय से रिकॉर्डतोड़ 8,125 पत्थर निकालकर न केवल उनका जीवन बचाया, बल्कि चिकित्सा विज्ञान में एक नया कीर्तिमान भी स्थापित किया.
ये अब तक की इस जैसी पहली सर्जेरी है, जिसमें इतनी बड़ी तादाद में पित्ताशय से पत्थर निकाले गए है.ये भी पढ़े:Akola Shocker: महिला के गर्भाशय से निकाला 16 किलो का ट्यूमर, दो घंटे तक चला ऑपरेशन, अकोला में मरीज की बची जान
1 घंटे की सर्जरी ने रचा इतिहास
बुजुर्ग मरीज सालों से तेज पेटदर्द, बुखार, कमजोरी और भूख न लगने की समस्या से जूझ रहा था. जब स्थिति गंभीर हो गई, तो उन्हें फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां जांच में पेट में हजारों पित्ताशय की पथरियां होने का खुलासा हुआ.डॉ. अमित जावेद और डॉ. नरोला यांगर की टीम ने लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी के माध्यम से महज 1 घंटे में यह दुर्लभ सर्जरी पूरी कर दी.
पत्थर गिनने में लगे घंटों
सर्जरी के बाद जब डॉक्टरों ने पित्ताशय से निकाले गए पत्थरों को गिनना शुरू किया, तो उन्हें यकीन नहीं हुआ , यह संख्या थी 8,125 थी.यह न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर गिनती में सबसे अधिक पथरी निकलने वाले मामलों में एक बन चुका है.
डॉक्टरों की चेतावनी; लक्षणों को न करें नजरअंदाज, हो सकता है जानलेवा खतरा
डॉ. अमित जावेद ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इलाज न किया जाता, तो स्थिति सपोसिटरी इन्फेक्शन, पित्ताशय में मवाद या कैंसर तक पहुंच सकती थी.उन्होंने बताया कि पित्त की पथरी सामान्यत, कोलेस्ट्रॉल जमा होने से बनती है, जो अनियमित खान-पान, मोटापा और जंक फूड के अत्यधिक सेवन से जुड़ी होती है.
फोर्टिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर का बयान
फोर्टिस हॉस्पिटल के डायरेक्टर यश रावत ने बताया कि ‘यह हमारे डॉक्टरों की बेजोड़ निष्ठा का उदाहरण है.फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसिडेंट यश रावत ने इसे मेडिकल टीम की अद्वितीय सफलता बताया.उन्होंने कहा कि ‘यह केस हमारे लिए एक चुनौती था, लेकिन हमारी टीम ने क्लीनिकल सटीकता और पूरी सावधानी से इसे अंजाम दिया. यह दिखाता है कि हम मरीजों को सर्वोच्च स्तर की चिकित्सा सेवा देने के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं.


