
Delhi Amusement Park Accident: दिल्ली के कापशेड़ा इलाके में स्थित एक राइड्स एम्यूजमेंट पार्क में रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें 25 साल की युवती प्रियंका की मौत हो गई. दिल्ली नगर निगम (MCD) की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हादसे की वजह खराब सेफ्टी बेल्ट थी, जिसने ठीक से लॉक नहीं किया. ये हादसा टॉप स्पिन राइड में हुआ, जहां से प्रियंका करीब 20 फीट की ऊंचाई से नीचे गिर गईं. MCD की रिपोर्ट दिल्ली पुलिस को सौंपी जा चुकी है, जिसमें साफ कहा गया है कि सुरक्षा बेल्ट ने पूरी तरह से लॉक नहीं किया, जिसकी वजह से प्रियंका गिर पड़ीं.
प्रियंका अपने मंगेतर निखिल सिंह के साथ राइड पर बैठी थीं. निखिल ने पुलिस को दिए बयान में बताया, “वो मेरे बगल में बैठी थी. राइड शुरू होते ही कुछ सेकंड में वो फिसल गई. सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि हम कुछ कर ही नहीं पाए.”
3 लोगों की गिरफ्तारी, राइड सील
राइड ऑपरेटर ने दावा किया था कि उसके पास 18 साल का अनुभव है और सभी सुरक्षा इंतजाम किए गए हैं, लेकिन जांच में ये दावे झूठे साबित हुए. पुलिस ने इस मामले में तीन आरोपियों ललित (राइड ऑपरेटर), धर्मबीर (सुपरवाइजर) और जगजीत सिंह (ऑपरेशंस मैनेजर) को गिरफ्तार किया है.
इन्हें ‘बाउंड डाउन’ किया गया है, यानी ये लोग पुलिस जांच के दौरान उपलब्ध रहने होंगे और बिना सूचना दिए शहर नहीं छोड़ सकते. फिलहाल, राइड को तत्काल बंद कर सील कर दिया गया है.
प्रियंका की कहानी: जिम्मेदारियों से भरी जिंदगी
प्रियंका, दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके की रहने वाली थीं और एक इंश्योरेंस कंपनी में रिलेशनशिप मैनेजर के तौर पर काम कर रही थीं. परिवार की सबसे छोटी बेटी होते हुए भी वो परिवार की मुख्य कमाने वाली थीं और एक बड़ा लोन चुकाने में मदद कर रही थीं.
उनकी शादी फरवरी में तय थी. हाल ही में उन्होंने शादी के लिए ज्वेलरी खरीदनी शुरू की थी और अपने माता-पिता के लिए एक घर खरीदने की तैयारी भी कर रही थीं.
पुलिस जांच जारी
हादसे के वक्त राइड पर 17 लोग सवार थे, लेकिन केवल प्रियंका को चोट आई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके हाथ-पैर पर गहरे घाव और चोट के निशान पाए गए. पुलिस ने नए BNS के तहत धारा 289 (मशीनरी के साथ लापरवाहीपूर्ण बर्ताव) और धारा 106 (मृत्यु कारक लापरवाही) के तहत मामला दर्ज किया है और जांच जारी है.
इस हादसे ने फिर एक बार सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या एम्यूजमेंट पार्क्स में सुरक्षा नियमों का पालन सही ढंग से हो रहा है? और अगर नहीं, तो इसकी कीमत मासूम ज़िंदगियों को क्यों चुकानी पड़ती है?