FM Nirmala Sitharaman | PTI
नई दिल्ली: GST काउंसिल ने मंगलवार को अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था (Indirect Tax Structure) को और आसान बनाने के लिए नई डुअल स्लैब व्यवस्था को मंजूरी दी है. अब ज़्यादातर वस्तुओं और सेवाओं पर 5% या 18% टैक्स लगेगा. वहीं, लग्जरी और ‘सिन गुड्स’ (जैसे सिगरेट, शराब, पान मसाला आदि) पर 40% टैक्स स्लैब तय किया गया है.
ये नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी, यानी त्योहारों के सीज़न से ठीक पहले. काउंसिल ने यह भी साफ कर दिया कि इस फैसले के साथ कोई नया टैक्स या अतिरिक्त सेस नहीं लगाया जाएगा. इसे 2017 के बाद की सबसे बड़ी टैक्स सुधार (Tax Reform) माना जा रहा है.
सरकार को कितना होगा घाटा?
प्रारंभिक अनुमान के मुताबिक, इस नई व्यवस्था से सरकार को करीब 93,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है. हालांकि, 40% टैक्स स्लैब से लग्ज़री और सिन गुड्स पर लगभग 45,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वसूली होने की उम्मीद है. इससे घाटे की भरपाई आंशिक रूप से हो सकती है.
छोटे कारोबारियों के लिए राहत
नई टैक्स व्यवस्था का फायदा MSME सेक्टर (Micro, Small & Medium Enterprises) को भी मिलेगा. सरकार ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसान बनाने का ऐलान किया है. अब 3 दिन के भीतर MSME का रजिस्ट्रेशन पूरा किया जा सकेगा, जबकि अभी इसमें कई हफ्ते लग जाते थे.
राज्यों की राय और मुआवजे की मांग
हालांकि, कई राज्यों ने इस फैसले पर चिंता जताई है. हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक जैसे विपक्ष शासित राज्यों ने राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र से मुआवज़ा (Compensation) मांगा है. पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि हमने ‘कंपनसेशन सेस’ बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने इसे स्वीकार नहीं किया.

