2025 में बेंगलुरु को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ सकता है, खासतौर पर व्हाइटफील्ड और दक्षिण-पूर्वी क्षेत्रों में, जहां भूजल पर अत्यधिक निर्भरता है. झीलों के सूखने और बोरवेल के खत्म होने से स्थिति और खराब हो सकती है.
बता दें कि भारत की सिलिकॉन वैली’ कहलाने वाले बेंगलुरु की चकाचौंध अब उसके लिए चुनौती बनकर उभरा है. शहरीकरण और लगातार बढ़ती जनसंख्या ने बेंगलुरु को भीषण जल संकट में धकेल दिया है. बेंगलुरु में पानी की किल्लत ने लोगों की जीवन को प्रभावित करना शुरू कर दिया है. बीते साल न तो नहाने को पानी मिला न ब्रश करने और न खाना बनाने के लिए पानी बचा था. देश का टेक कैपिटल बेंगलुरु पानी की किल्लत से हिला गया था और हर गुजरते दिन के साथ शहर में स्थिति बिगड़ती गई ।हालात ये था कि लोग कामकाज छोड़कर घर पर पानी जुटाने की कवायद में जुटे थे पानी की किल्लत ने केवल लोगों के जीवन को नहीं बल्कि कारोबार पर असर डाला था।
बीते गर्मियों में बेंगलुरु में जल संकट के चलते लोग शहर छोड़ने के लिए मजबूर हो गए थे. शहर का प्रॉपर्टी रेट गिरने लगा था. एक्सपर्ट के मुताबिक पानी संकट के चलते बेंगलुरु में प्रॉपर्टी के रेट में 10 से 15 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी. अगर ये दिक्कत इसी तरह लगातार जारी रहा तो रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा नुकसान हुआ था. खासकर बेंगलुरु ईस्ट और सेंट्रल में सबसे ज्यादा जल संकट हुआ. इस एरिया में प्रॉपर्टी रेट के साथ-साथ रेंटल रेट्स भी गिर गए थे।