भारतीय वैज्ञानिकों ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिससे हमारे देश में सुरक्षित कम्युनिकेशन का एक नया दौर शुरू हो गया है. उन्होंने सफलतापूर्वक क्वांटम एंटैंगलमेंट (Quantum Entanglement) के ज़रिए 1 किलोमीटर से ज़्यादा दूरी तक फ्री-स्पेस सुरक्षित कम्युनिकेशन करके दिखाया है. यह वाकई एक बड़ी उपलब्धि है!
यह सब रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)-उद्योग-शिक्षा उत्कृष्टता केंद्र (DIA-CoE), IIT दिल्ली की बदौलत संभव हो पाया है.
क्या हुआ इस प्रयोग में?
इस प्रयोग में, वैज्ञानिकों ने 240 बिट प्रति सेकंड की सुरक्षित कुंजी दर (Secure Key Rate) हासिल की, और वो भी बहुत कम त्रुटि दर (Error Rate) के साथ. सबसे ख़ास बात ये है कि यह सिर्फ़ कोई सिमुलेशन (नक़ली प्रयोग) नहीं था, बल्कि इसे असली दुनिया की परिस्थितियों में करके दिखाया गया है. इससे पता चलता है कि क्वांटम कम्युनिकेशन पारंपरिक डेटा ट्रांसमिशन के साथ-साथ कितना व्यावहारिक है.
रक्षा मंत्रालय ने बताया, “यह एंटैंगलमेंट-असिस्टेड क्वांटम सुरक्षित कम्युनिकेशन क्वांटम साइबर सुरक्षा में वास्तविक समय के अनुप्रयोगों का मार्ग प्रशस्त करता है, जिसमें लंबी दूरी की क्वांटम कुंजी वितरण (QKD), क्वांटम नेटवर्क का विकास और भविष्य का क्वांटम इंटरनेट शामिल है.”
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस उपलब्धि के लिए DRDO और IIT-दिल्ली को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि यह भारत की इस क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ती प्रगति को दिखाता है, जो “भविष्य के युद्ध में गेम चेंजर” साबित होगा.
इस प्रोजेक्ट का नाम ‘फ्री स्पेस QKD के लिए फोटोनिक तकनीकों का डिज़ाइन और विकास’ था. इसे DRDO के डायरेक्टरेट ऑफ़ फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट (DFTM) ने मंज़ूरी दी थी, और प्रो. भास्कर काँसेरी की रिसर्च टीम ने इस टेस्ट को करके दिखाया.
आखिर ये क्वांटम एंटैंगलमेंट क्या है?
आसान भाषा में कहें तो, क्वांटम कम्युनिकेशन में जानकारी को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए “क्वांटम एंटैंगलमेंट” नाम की चीज़ का इस्तेमाल किया जाता है. इसे ऐसे समझिए, जैसे दो कण (Particles) आपस में एक अदृश्य जुड़वां कनेक्शन से जुड़े हों. भले ही वे मीलों दूर हों, लेकिन एक के साथ जो होता है, उसका असर तुरंत दूसरे पर भी पड़ता है. इसमें आप कोई भौतिक चीज़ नहीं भेज रहे होते, बल्कि आप एक कण की अवस्था या स्थिति भेज रहे होते हैं.
क्वांटम कम्युनिकेशन के फ़ायदे क्या हैं?
- अभेद सुरक्षा: इसकी सबसे बड़ी ख़ूबी है कि यह अभेद्य एन्क्रिप्शन (Unbreakable Encryption) देता है. यानी, इसमें भेजी गई जानकारी को कोई भेद नहीं सकता. इसीलिए यह रक्षा, वित्त और दूरसंचार जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में डेटा को सुरक्षित रखने के लिए बहुत काम का है.
- राष्ट्रीय सुरक्षा: यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संचार को सुरक्षित रखने में मदद करेगा.
- कम लागत: फ्री-स्पेस QKD में ऑप्टिकल फ़ाइबर बिछाने की ज़रूरत नहीं पड़ती, जिससे इसकी लागत कम हो जाती है.
- हर जगह काम का: इसे मुश्किल इलाकों और घने शहरी वातावरण में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
पहले भी हुए हैं ऐसे कारनामे
पिछले साल भी, DRDO द्वारा समर्थित एक और प्रोजेक्ट में, वैज्ञानिकों ने 100 किलोमीटर लंबे टेलीकॉम-ग्रेड ऑप्टिकल फ़ाइबर का उपयोग करके सफलतापूर्वक क्वांटम कुंजियों का वितरण किया था. वहीं, 2022 में, देश का पहला अंतर-शहर क्वांटम कम्युनिकेशन लिंक विंध्याचल और प्रयागराज के बीच कमर्शियल-ग्रेड अंडरग्राउंड डार्क ऑप्टिकल फ़ाइबर का उपयोग करके स्थापित किया गया था.
यह उपलब्धि भारत को क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में एक मज़बूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती है और भविष्य में सुरक्षित कम्युनिकेशन के लिए नए रास्ते खोलती है.

