बांधवगढ़ नेशनल पार्क और टाइगर सफारी में 10 जंगली हाथियों की अचानक मौत हो गई थी। इस घटना के चलते उमरिया से लेकर हड़कंप मचा हुआ था। मौत को लेकर अलग अलग कयास लगाए जा रहे थे। मौके पर पहुंचे बड़े-बड़े मामले की जांच कर रहे थे। लोकल लेवल पर भी लोग अलग- अलग वजह बता रहे थे। हालांकि हाथियों की पीएम रिपोर्ट में उनकी मौत का खुलासा हो गया।
उमरिया जिले के विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में जंगली हाथियों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा था। 6 लेकर मौत का बढ़ता आंकड़ा 10 तक पहुंच चुका था। टाइगर रिजर्व और डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी और इलाज में लगे होने के बाद भी सफल नहीं हो पाई। अब पीएम रिपोर्ट आने के बाद उनकी मौत की वजह सामने आ गई है।
भोपाल से आए ए पी सी सी एफ वन्य जीव एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि अब तक 10 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 29 को 4 हाथी, 30 को 4 हाथी और कल यानी 31 को 2 हाथी की मौत हो चुकी है। सभी हाथियों का जो वेटनरी की टीम इलाज करने के लिए आई थी, उनसे हमारा काफी डिस्कशन हुआ है। उन्होंने, जो पोस्टमार्टम किया है उनका कहना है कि हाथियों के पेट के अन्दर से काफी मात्रा में कोदो निकला है। जंगल के अंदर खेतों में लगे कोदो-कुटकी में माइकोटॉक्सिन (एक प्रकार का कवक विष) बन गए थे। डॉक्टरों ने हाथियों के पीएम के दौरान पेट के अंदर से इंफेक्टेड कोदो पाया है।
गौरतलब है कि पुराने और बुजुर्ग किसान जो परंपरागत मोटे अनाज की खेती करते रहे उनका मानना है कि जिस कोदो की फसल में यदि नाग-नागिन का जोड़ा मेटिंग पीरियड में खेत मे लोट जाय या घूम जाए तो उतने एरिया की फसल जहरीली हो जाती है और यही कारण हो सकता है कि जिस खेत की फसल हाथियों का दल खाया उनकी मौत हो गई और जो नहीं खाये वो बचे हुए हैं। वहीं अगर देखा जाय तो अब टाइगर रिजर्व प्रबंधन और वन्य जीव चिकित्सक भी ग्रामीणों की बात से इत्तेफाक रखते नजर आने लगे हैं। हाथियों ने जहां पर कोदो खाया है उसका भी सैम्पल लिया है। वो सारे सैम्पल की जांच हो जाएगी और स्पष्ट हो जाएगा। हमारी कई सारी टीमें लगी हुई हैं जैसे वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो से टीम आई है वह भी अपने स्तर से जांच कर रही है।
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10 हाथियों की मौत होने के बाद पार्क प्रबंधन और एसटीएफ ने किसानों की 7 एकड़ एरिया में बोई हुई कोदो की फसल को ट्रैक्टर चलवा कर नष्ट कर दिया और उसको आग के हवाले कर दिया। ताकि दूसरे कोई भी वन्य जीव या अन्य जानवर की मौत उक्त फसल को खाने से न हो सके।