सुकमा। :जिले के पाकेला पोटाकेबिन में अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है, 21 अगस्त को एक व्यक्ति 426 बच्चों के खाने में जहर मिला देता है और समय रहते इसकी जानकारी बच्चों को लग जाती है। फिर अधीक्षक खाने को नष्ट करा देता है एक बड़ी घटना टल जाती है। जिसके बाद जिला प्रशासन और पुलिस उस दोषी शिक्षक को जेल भेजे देते है, अधीक्षक को हटा दिया जाता है।
लेकिन इस बीच डीएमसी पर क्यों कारवाई नहीं की गई। ये सवाल पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश कवासी ने उठाये हैं,उन्होंने कहा 21 अगस्त को ही अधीक्षक ने बीईओ व बीआरसी को जानकारी दे देते है और डीएमसी उमाशंकर तिवारी को भी जानकारी मिल जाती है।
उसके दूसरे दिन उमाशंकर तिवारी पोटाकेबिन जाते है लेकिन सिर्फ खानापूर्ति कर अनुदेशकों से बात कर वापस लौट जाते है। तीसरे दिन 23 अगस्त को फिर जाते है बच्चों से मिलते है उस समय बच्चे शिक्षक का नाम भी बता देते है। लेकिन डीएमसी कारवाई करने के बजाय वापस लौट जाते है। अगले दिन 24 अगस्त को कलेक्टर को पूरी जानकारी देते है।
इतनी बड़ी घटना को हाईकोर्ट ने एक ही दिन में संज्ञान में लिया वही डीएमसी ने चार दिनों तक मामले को दबाने की कोशिश की, हरीश कवासी ने कहा प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर को जानकारी तक नहीं दी गई।
हरीश आरोप लगाते हुए कहते हैं आखिरकार डीएमसी किसको बचाने में लगे थे। जबकि पिछले तीन सालों से अधीक्षक और उस शिक्षक की आपसी रंजिश चल रही है इस बीच कई घटनाएं भी हुई जिसकी जानकारी होते हुए भी डीएमसी ने शिक्षक को क्यों नहीं हटाया, क्या सिर्फ कमीशनखोरों तक ही समिति है। जबकि हर सप्ताह अधिकारियों को जांच के लिए भेजा जाता है वो अधिकारी क्या जांच करते है। सिर्फ बच्चों के साथ फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रहते है। अगर बच्चे खाना खा लेते तो क्या होता, हालात संभाल नहीं पाते।
हरीश ने कहा आदिवासी समुदाय के लोग शासन पर विश्वास करते है, दूर दूर से अपने बच्चों को पढ़ाने भेजते है लेकिन इस तरह की घटना उनके विश्वास को तोड़ती है।
हरीश कवासी ने माँग की है के
शासन को चाहिए कि इतना बड़ी घटना दबाने और छुपाने के लिए डीएमसी के खिलाफ कारवाई की जाए। ताकि लोगों का विश्वास बना रहे।


