CG News : गरियाबंद, 18 अक्टूबर 2025 : छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक और ऐतिहासिक दिन जुड़ गया। जहां एक ओर बस्तर में रूपेश दादा उर्फ सतीश दादा के नेतृत्व में 210 माओवादी कैडरों ने हथियार डालकर समाज की मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया, वहीं दूसरी ओर उदंती एरिया कमेटी ने भी सशस्त्र संघर्ष को विराम देने का संकेत दिया है।
इसी बीच गरियाबंद के पुलिस अधीक्षक निखिल राखेचा ने एक वीडियो जारी करते हुए नक्सलियों से भावनात्मक अपील की है। उन्होंने कहा — “हम आपका स्वागत करने के लिए तैयार हैं। समाज की मुख्यधारा में लौट आइए, हथियार छोड़िए, हिंसा को विराम दीजिए। जो भी नक्सली आत्मसमर्पण करना चाहता है, वह बेझिझक सीधे मुझसे संपर्क करे — मैं और मेरी टीम उसकी और उसके परिवार की पूरी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेंगे।”

एसपी राखेचा ने इसके साथ ही अपना सीधा संपर्क नंबर +91 94791 90067 सार्वजनिक करते हुए कहा कि जो भी माओवादी हिंसा छोड़ना चाहता है, वह इस नंबर पर किसी भी समय संपर्क कर सकता है। उन्होंने कहा कि “अब वक्त है बंदूक की जगह किताब उठाने का, समाज को जोड़ने का।”
16 अक्टूबर को महाराष्ट्र में सोनू दादा और 61 नक्सल कार्यकर्ताओं ने सशस्त्र आंदोलन को विराम दिया था, वहीं 17 अक्टूबर को बस्तर में 210 माओवादी कैडरों ने सरकार के सामने आत्मसमर्पण कर “पूना मारगेम – पुनर्वास से पुनर्जीवन” की दिशा में कदम बढ़ाया।
इसके बाद उदंती एरिया कमेटी ने भी अपने संदेश में कहा कि अब “जनता के बीच रहकर जनांदोलन और संवैधानिक माध्यमों से समस्याओं को हल किया जाना चाहिए।”
एसपी राखेचा बोले — अच्छा संकेत, शांति की दिशा में बड़ा कदम
राखेचा ने कहा कि यह सिर्फ आत्मसमर्पण नहीं, बल्कि सोच और दिशा में बदलाव का प्रतीक है। “हमारा लक्ष्य सिर्फ नक्सलियों को पकड़ना नहीं, बल्कि उन्हें समझाना है कि अब असली संघर्ष विकास और शिक्षा के रास्ते से ही संभव है।”
सरकार की नीति पर जोर
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की नक्सल आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति के तहत, आत्मसमर्पण करने वालों को सुरक्षा, पुनर्वास, रोजगार और सम्मानजनक जीवन जीने के पूरे अवसर दिए जा रहे हैं।
बस्तर और गरियाबंद की यह घटनाएं संकेत देती हैं कि दण्डकारण्य में नक्सलवाद अब अपने अंतिम दौर में है।
अब बंदूक नहीं, संवाद का दौर शुरू हो चुका है — और छत्तीसगढ़ की धरती एक बार फिर शांति और विकास की ओर लौट रही है।