कोरबा। : सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के कर्मचारियों के लापरवाही के नमूने आए दिन सामने आ रहे हैं। यहां एक मरीज पूजा पैकरा के मामले में ब्लड ग्रुप बी नेगेटिव बताकर परिजनों को व्यवस्था में जुटा दिया गया। मरीज का परीक्षण करने पर या मामला बी पॉजिटिव का निकला। इसके बाद परिजनों ने मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहां की अगर हॉस्पिटल की पर्ची पर विश्वास कर लेते तो मरीज की मौत हो सकती थी।
मानव शरीर की स्थिति को संचालित करने में अंग प्रत्यङ्गो के साथ-साथ रक्त की बड़ी भूमिका होती है। रक्त निर्माण की प्रक्रिया में व्यक्ति द्वारा भोजन में लिए जाने वाले पदार्थ का अपना योगदान होता है।
रक्त समूह की अपनी व्यवस्था होती है जिसके आधार पर आपात स्थिति में किसी जिंदगी को बचाने के लिए इस समूह के दाता का रक्त जरूरी होता है। इसलिए ऐसे मामलों में रक्त लेने वाले और रक्त देने वाले की जांच की जाती है और इसमें भी बड़ी सतर्कता बढ़ती जाती है कि कहीं कोई गलती ना हो जाए। कोरबा के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में महिला मरीज पूजा भरती थी और उसे रक्त की कमी बताई गई। रक्त सैंपल लेने पर रिपोर्ट क्या आई इसका पता नहीं चला लेकिन परिजनों ने बताया कि कर्मचारियों ने बी नेगेटिव ब्लड ग्रुप लिख कर दिया था। बाद में मालूम चला कि पूजा का ग्रुप बी पॉजिटिव है।
सतर्कता दिखाते हुए परिजनों के द्वारा पॉजिटिव समूह के दाता तैयार किया।
पूजा के भाई राजेश दास ने बताया कि अगर कर्मचारियों की लापरवाही से मरीज को गलत रक्त चढ़ा दिया जाता तो उसकी मौत हो सकती थी। राजेश ने बताया कि गलती पकड़ने पर भी अस्पताल स्टाफ तमाशा करता रहा की संपूर्ण प्रक्रिया के बाद भी आप लोगों को बी पॉजिटिव समूह का रक्त देना ही पड़ेगा।
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में इससे पहले भी कई मामलों में गलतियां हो चुकी हैं और इसे लेकर बवाल हुआ है। इसे लेकर हर बार अस्पताल के उच्च अधिकारियों को सफाई देने के लिए आगे आना पड़ता है और स्थिति नियंत्रण करने के लिए दोषियों के खिलाफ जांच के आदेश भी देने पड़ते हैं। इतना सब कुछ होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में ना तो लापरवाही थम रही है और ना ही दोषियों पर कार्रवाई की जा रही है। सवाल इस बात का है कि अगर कर्मचारियों की गलती से किसी मरीज की जान पर संकट पैदा होता है तो इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा।


