रायपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में वन आधारित अर्थव्यवस्था और ग्रामीण विकास को नई रफ्तार देने के लिए राज्य सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप के प्रयासों से आसना पार्क में प्रदेश का पहला वन विज्ञान केंद्र (Forest Science Centre) स्थापित होने जा रहा है। इस केंद्र का उद्देश्य वन संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और ग्रामीणों की आय बढ़ाने पर केंद्रित होगा।
मुख्यमंत्री साय ने हमेशा से यह विचार रखा है कि आदिवासी समुदायों के पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक से जोड़ा जाए, ताकि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सके। यह केंद्र उनके इसी विज़न का प्रत्यक्ष परिणाम है।

ज्ञान और तकनीक का अनूठा संगम
लगभग 100 एकड़ क्षेत्र में फैला आसना वन विज्ञान केंद्र वन आधारित आजीविका को बढ़ावा देने का एक मॉडल बनेगा। यहां स्थानीय आदिवासियों और वन कर्मियों को कृषि-वानिकी, औषधीय पौधों की खेती, वनोपज मूल्य संवर्धन, मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
सागौन, हल्दी, सर्पगंधा, अश्वगंधा, ब्राह्मी जैसे पौधों की मिश्रित खेती के मॉडल न केवल मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएंगे, बल्कि किसानों को अधिक आय भी देंगे। इसके अलावा इमली, महुआ और गोंद जैसी वनोपजों के प्रसंस्करण के लिए भी यहां विशेष यूनिट्स स्थापित होंगी।
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस केंद्र
वन विज्ञान केंद्र को पूरी तरह मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित किया जाएगा। इसमें व्याख्यान कक्ष, प्रदर्शन हॉल, आवासीय सुविधा, और मृदा परीक्षण, जल गुणवत्ता और औषधीय पौधों की जांच के लिए आधुनिक प्रयोगशाला शामिल होंगी। इसके साथ ही जर्मप्लाज्म संरक्षण इकाई स्थापित होगी ताकि दुर्लभ वन प्रजातियों का संरक्षण किया जा सके।
शोध और नवाचार का नया केंद्र
यह केंद्र सिर्फ प्रशिक्षण तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे भविष्य में एक उच्च स्तरीय अनुसंधान केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। यहां पर वनोपजों की गुणवत्ता, उत्पादन और प्रसंस्करण पर वैज्ञानिक अध्ययन होगा। इससे स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक बेहतर गुणवत्ता के साथ पहुंचाने में मदद मिलेगी।
बस्तर वन मंडलाधिकारी श्री उत्तम कुमार गुप्ता ने बताया —
“वनांचल विज्ञान केंद्र आसना, बस्तर के आदिवासी समुदायों के लिए नई सुबह लेकर आएगा। यह पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक का संगम होगा जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगा।”


