मुंगेली।: विकासखंड शिक्षा कार्यालय मुंगेली में पदस्थापना को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है, जो शासन के नियमों, वित्तीय जवाबदेही और अधिकारियों की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा कर रहा है। एक सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने उच्च शिक्षा अधिकारियों और कलेक्टर को शिकायत पत्र देकर आरोप लगाया है कि विभाग में बिना विधिवत शासनादेश के मनमानी पदस्थापनाएं हो रही हैं।
दो-दो BEO एक ही कुर्सी पर
शिकायतकर्ता का कहना है कि वह 2015 से सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं और फीडिंग कैडर में वरिष्ठता व पदोन्नति की पात्रता रखते हैं। इसके बावजूद, मूल रूप से प्राचार्य पद पर कार्यरत जितेंद्र कुमार बावरे को जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बिना स्पष्ट शासनादेश के बीईओ का प्रभार सौंपा गया है। छत्तीसगढ़ शासन के राजपत्र (2019) के अनुसार, पात्र अधिकारी उपलब्ध होने पर बीईओ का पद फीडिंग कैडर से भरा जाना चाहिए।
वित्तीय अनियमितता के आरोप
मामले में सवाल यह भी है कि विगत पांच वर्षों से एक ही पद के लिए दो अधिकारियों को समान दायित्व दिए गए हैं। बावरे का वेतन कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य पद से निकाला जा रहा है, जबकि वे जिला कार्यालय में कार्यरत हैं। साथ ही, वे पूर्व में JD कार्यालय बिलासपुर में अटैच भी रहे हैं।
नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि बावरे को बीईओ का प्रभार देने का कोई विधिवत शासनादेश नहीं है। सामान्य प्रशासन विभाग का आदेश (2014) कहता है कि वरिष्ठता की उपेक्षा कर कनिष्ठ अधिकारी को प्रभार देना केवल ठोस प्रशासनिक कारण पर ही उचित है।
त्रिस्तरीय विसंगति
पूर्व बीईओ डॉ. प्रतिभा मंडलोई के स्थानांतरण के बाद, उनका हाईकोर्ट से मिला स्टे आदेश समाप्त होते ही बावरे की नियुक्ति स्वतः प्रभावी होनी चाहिए थी। लेकिन आरोप है कि बिना नया शासनादेश जारी किए उन्हें बीईओ मानकर कार्यमुक्त किया गया और वरिष्ठ अधिकारी को दरकिनार किया गया। साथ ही, अटैचमेंट और वेतन की व्यवस्था त्रिस्तरीय विसंगति पैदा करती है।
डीईओ का पक्ष
जिला शिक्षा अधिकारी सीके धृतलहरे ने बताया कि बावरे की बीईओ पदस्थापना 2019 में शासन स्तर से हुई थी। हाईकोर्ट आदेश के बाद प्रतिभा मंडलोई ने 5 साल तक बीईओ के रूप में कार्य किया। अब उनके पथरिया स्थानांतरण के बाद मुंगेली बीईओ का पद खाली था, इसलिए बावरे को बीईओ के रूप में उपस्थिति देने निर्देशित किया गया है, जो उनके अनुसार पूर्णतः वैधानिक है, क्योंकि बावरे की मूल पदस्थापना आज भी शासन स्तर से बीईओ के रूप में है।


