Raipur. रायपुर। राजधानी रायपुर के मठपुरेना क्षेत्र स्थित सर्व सिद्ध सार्वजनिक श्री हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित तीन दिवसीय अखण्ड सस्वर मानस ज्ञान सम्मेलन का समापन आज भव्य रूप से संपन्न हुआ। इस विशेष अवसर पर श्रद्धालुओं और संतजनों की उपस्थिति में प्रभु श्रीराम की पावन लीलाओं का श्रवण कर श्रद्धा और भक्ति का भावपूर्ण वातावरण निर्मित हुआ। कार्यक्रम के समापन समारोह में उपस्थित जनसमूह के बीच वक्ताओं ने गोस्वामी तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म, सेवा-भाव, मर्यादा और आध्यात्मिक जीवनशैली का जीवंत प्रतीक है।
श्रीराम की लीलाओं से भक्ति और एकता का संचार
समापन सत्र में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड, अरण्यकांड, और उत्तरकांड के विविध प्रसंगों का मनोहारी वाचन और व्याख्यान हुआ। कथा वाचकों ने श्रीराम के वनगमन, सीता हरण, हनुमानजी की लंका यात्रा और रावण वध जैसे प्रसंगों को भक्तिभाव से प्रस्तुत किया, जिससे श्रोताओं की आंखें नम और मन भावविभोर हो उठा। कथावाचक आचार्य श्री पवनानंद महाराज ने कहा कि “रामचरितमानस वह दीप है, जो न केवल अज्ञान के अंधकार को दूर करता है, बल्कि जीवन में दिशा और धैर्य भी प्रदान करता है।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में नैतिक मूल्यों, संयम, सेवा-भाव और सांस्कृतिक चेतना का पुनर्जागरण होता है।
समाज में एकजुटता और अध्यात्म की भावना जागृत
कार्यक्रम में अनेक श्रद्धालु, समाजसेवी, स्थानीय जनप्रतिनिधि और मंदिर समिति के सदस्य शामिल हुए। सभी ने इस आयोजन को सांस्कृतिक जागरण और सामाजिक समरसता का एक सशक्त माध्यम बताया। श्रद्धालुओं का कहना था कि तीन दिनों तक मंदिर परिसर में जो आध्यात्मिक ऊर्जा व्याप्त रही, उसने हर मनुष्य के अंतर्मन को छू लिया।
आयोजन समिति को मिली सराहना
आयोजन समिति के संयोजक रमेश दुबे ने बताया कि सम्मेलन का उद्देश्य न केवल धार्मिक आयोजन करना था, बल्कि नवपीढ़ी को श्रीराम के चरित्र और तुलसी साहित्य से जोड़ना भी था। उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चले इस अखण्ड पाठ और प्रवचन के माध्यम से युवा वर्ग ने भी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शों को आत्मसात किया। कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, भजन संध्या और सामूहिक आरती का आयोजन भी हुआ, जिसमें स्थानीय कलाकारों और भक्तों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
समापन समारोह में सामाजिक सद्भाव का संदेश
समापन समारोह में वक्ताओं ने कहा कि ऐसे आध्यात्मिक आयोजनों से धार्मिक सौहार्द, आपसी सहयोग और पारिवारिक एकता को बल मिलता है। श्रीरामचरितमानस के प्रसंगों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में धर्म, धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ सभी कठिनाइयों को पार किया जा सकता है। तीन दिन तक चले इस सम्मेलन में सुबह से लेकर देर शाम तक हनुमान चालीसा, रामधुन, मानस पाठ और प्रवचनों की गूंज मंदिर परिसर में गूंजती रही। श्रद्धालुओं ने बताया कि यह अनुभव आध्यात्मिक रूप से बहुत शांति देने वाला रहा। आयोजन समिति ने यह भी घोषणा की कि आगामी समय में ऐसे धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों को और व्यापक स्तर पर आयोजित किया जाएगा, जिससे समाज में धार्मिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों का संरक्षण सुनिश्चित हो सके।

